रोहतास नोखा संवाददाता मंटू कुमार की रिपोर्ट
नोखा ( रोहताह) नोखा प्रखंड मुख्यालय स्थित ई किसान भवन में मोटे अनाज को लेकर के एकदिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जहां पर उपस्थित महिला कृषकों को प्रशिक्षण देते हुए कृषि विभाग के तकनीकी प्रबंधक श्रीकांत कुमार , कृषि बिशेषज्ञ राजू कुमार और अशोक कुमार द्वारा बताया गया की मोटे अनाज से क्या-क्या फायदे हैं इसकी वैरायटी कौन-कौन सी है।
मिलेट (मोटे अनाज) की प्रमुख वेराइटी बीज क्वालिटी के मिलेट (जवार),बीज क्वालिटी के मिलेट (बाजरा),मिलेट (रागी) बीज क्यालिटी वाले, मिलेट (जवार) बीज को छोड़कर दूसरे प्रकार, मिलेट (बाजरा) बीज को छोड़कर दूसरे प्रकार, मिलेट (रागी) बीज के अलावा अन्य, मिलेट (कैनरी) बीज जैसी क्वालिटी वाले, मिलेट (कैनरी) बीज के अलावा कदन्न फसल (मिलेट) एक पोषण तत्वों से भरपूर अनाज है, जिसके कारण इसको ‘न्युट्री अनाज’ भी कहते हैं।
भारत में मोटे अनाज आधारित चीजों की खाने की माग बढ़ रही है। आमतौर से मिलेट को गरीबों का भोजन के रूप में पहचाना जाता है। आर्थिक रूप से संपन्न लोग इसको खाने से हिचकते रहे हैं।
लगातार बढ़ रही शारीरिक बीमारियों से उपजी चिंता के बाद दुनियाभर में भोजन पर एक बार फिर से गंभीरता से मंथन शुरू हुआ है। अतः यह आज उपलब्ध अनाजों में सबसे स्वास्थ्यप्रद अनाज है। हर एक कदन्न फसलों का अपना-अपना महत्व हैं, जैसे- रागी और बाजरा कैल्शियम और लौह तत्वों से भरपूर होता है।
ज्वार में पोटैशियम और फास्फोरस होता है, जबकि कोदो लौह तत्वों से भरपूर होता है। सारे कदन्न फसलों में आहारीय रेशा बहुतायक मात्रा में होती है। इसलिए हमें सभी तरह के कदन्न फसलों को खाते रहना चाहिए। इसमे प्रोटीन, विटामिनबी-कम्पलेक्स, कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जिंक, पौटेशियम, ताँबा और सेलेनियम सहित बहुत से पोषक तत्व होते हैं।
इनमें एंटी-ऑक्सीडेंट फ्लेवोनॉइड्स, पिगमेंट, एंथोसायनिन, सैपोनिन और लिगनिन्स भी पाने जाते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए कदन्न फसली की “सुपर फूड’ भी कहा जाता है। कुटकी भी एक पारम्परिक फसल है। इसका हमार भोजन में काफी महत्व है। इसकी पौष्टिकता के कारण अन्य अनाज से इसे ऊँचा स्था दिया गया है। इसमें 37-38% आहारीय रेशा पाया जाता है।
कदन्न फसलें का आट स्वाभाविक रूप लस मुक्त होता हो और इससे बने खाद्य उत्पाद चावल और गेहूँ का ए बढ़िया विकल्प होता है। मनुष्यों में लस संवेदनशीलता के बढ़ने के साथ एक विकल्प के रूप में भी मिलेट जाना जा रहा है। कदन्न फसल को दो भागों में बगीक किया गया। मौके पर के कृषक महिला उपस्थित रहे