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चंदौली में स्वास्थ्य विभाग बना खिलवाड़ अधिकारी है मस्त क्या करेगा राज्य सरकार
चंदौली में स्वास्थ्य विभाग बना खिलवाड़ अधिकारी है मस्त क्या करेगा राज्य सरकार…
दुर्घटना में घायल बेसहारों के सहारा के नाम पर चंदौली के कुछ अस्पताल खुले तौर पर लूट कर रहे हैं। अपने लाडले के दुर्घटना की सूचना पाने और स्वस्थ मिलने की अवस्था में मजबूर लोग अपना सब कुछ बेचकर दुर्घटना में घायल के हुए उपचार पर मनमाना पैसा देते हैं। इससे चंदौली के कई अस्पताल मालामाल हो रहे हैं। यही नहीं मानवता को भी तार-तार किया जा रहा है। इन अस्पतालों के संरक्षकों के तार जिला अस्पताल के डाक्टरों व स्टाफ से जुड़ा हुआ है। इसकी वजह से दुर्घटना में अज्ञात लोगों को सीधे बिना किसी परिजन के रेफर कर देते हैं।
जिला अस्पताल हमेशा सुर्खियों में रहा है। यहां डाक्टरों व स्टाफ की लापरवाही की वजह से तमाम लोग अपने मरीज को प्राइवेट में ले जाना सुरक्षित समझते हैं। जबकि जिला अस्पताल में सारी सुविधा हैं। जितनी सुविधा यहां उतनी प्राइवेट में सुविधा नहीं हैं लेकिन समय से उपचार न होने व लापरवाही से लोग प्राइवेट में ले जाना उचित समझते है। आज कल अस्पताल के इर्द-गिर्द विभिन्न अस्पतालों की एम्बुलेंस घूमती रहती हैं। यही नहीं 108 व 102 एम्बुलेंस से जैसी ही दुर्घटना का कोई मरीज आता है, यह लोग सीधे इमरजेंसी में पहुंच जाते हैं। अगर नाम-पता ज्ञात है और उसके परिवार के हैं तो वह लोग पीछे हट जाते हैं लेकिन अगर दुर्घटना में घायल की देखभाल करने वाला कोई नहीं हैं तो अस्पताल कर्मी प्राइवेट एम्बुलेंस में इसे लाद लेते हैं। इसके बाद अपने डिस्पेंसरी में ले जाकर उसका उपचार करते हैं। पता लगने पर जब परिजन अस्पताल पहुंचते हैं तो उनसे इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। मरता क्या नही करता, मजबूरन मुहमांगी कीमत देता है। इसके अलावा उपचार भी उसका वहीं चलता है। ऐसे में इनकी मनमानी कमाई हो रही है। इन कमाइयों का हाल यह है कि पन्द्रह साल पहले कंगाल बने यह प्राइवेट संचालक करोड़पति बन गए हैं। यही नहीं यह लोग जिला अस्पताल के डाक्टरों व कर्मचारियों से ताल मेल बना लिए हैं। इसके एवज में उनकी यथासंभव पूजा भी की जाती है। कुल मिलाकर यह खेल बेसहारा मरीजों के लिए बहुत ही घातक हैं।