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शराबबंदी कानून पर समीक्षा होना चाहिए:- आनन्द कुमार चंद्रवंशी 

अरवल जिला ब्यूरो बिरेंद्र चंद्रवंशी की रिपोर्ट 

पूर्व जिला पार्षद सह भाजपा जिला उपाध्यक्ष आनंद कुमार चंद्रवंशी प्रेस बयान जारी कर बिहार सरकार से मांग की है कि बिहार में शराबबंदी नीति को एक बार समीक्षा करनी चाहिए। आगे कहा कि जिस तरह मुजफरपुर में तीन लोगो को जहरीली शराब से मौत हुई है और पुर्व में भी सारण सहित उत्तर बिहार मे लगातार जहरीली शराब से सैकड़ों मौतें हो चुका है, वह चिंता का विषय है। विगत 7 साल पहले बिहार में शराबबंदी लागू हुआ था तो, उस समय के आम जनता के प्रतिक्रिया और आज 7 वर्षों के बाद इस शराब नीति पर आम जनता का प्रतिक्रिया बिलकुल विपरित है। इस शराबबंदीनीति से लगभग पूरे बिहार में लाखों के केश दर्ज हो चुके होंगे वही अरबों रूपए जुल्ममाने वसूला गया होगा तथा लाखो लोगो को जेल भी भेजा गया होगा लेकिन उसके बाद भी शराबबंदी फेल होने का मतलब शराबनीति की समीक्षा करने की जरुअत आ गया है।

आगे पुर्व जिला पार्षद ने कहा कि शराब बंदी के दूसरा पहलू यह हुआ है कि, लोग चोरी- छिपे शराब चुलाने और बेचने का धंधा शुरु कर दिए हैं, वही ओहदेदार लोग बड़े पैमाने पर अंग्रेजी व विदेशी शराब का दूसरे राज्यों से आयात कर शराब को होम डिलीवरी तक का नेटवर्किंग धंधा शुरु कर दिए गए।

चोरी छिपे शराब चुलाने वाले अनपढ़ और गरीब लोग हैं उन्हे नही पता की देशी शराब बनाने का मानक क्या होता है, चुकी पुर्व में यह लोग गरीबी और अशिक्षा के कारण अपने उपयोग के लिए घरेलू रूप से थोड़ा बहुत शराब बना कर पीते थे इसी अनुभव के कारण जब बिहार में नितीश -तेजस्वी के सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब बंदी कानून लागू किया तो इन गरीब लोग को बृहद पैमाने पर शराब चुलाने का अवसर मिला जो आज अवैध शराब चुलाने का उद्योग बन गया है।

शराब बंदी का एक असर यह हुआ कि कुछ लोग अफीम और ब्राउन शुगर पीने लगे जिसका प्रभाव किशोर और युवा लड़के पर पड़ने लगा है, कुछ किशोर युवाओं बॉन फिक्स का भी आदि होते जा रहा है। और सरकार का शराब बंदी कानून केवल पैसा उगाही का काम कर रहा है। ऐसे प्रस्थिति में शराब बंदी कानून पर समीक्षा होनी चाहिए।

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