नया साल मनाने जा रहे बेटे बेटियों को करें सावधान
गतवर्ष सौ से अधिक युवा घर लौट नहीं पाये थे, घायल, बलात्कार और गिरफ्तारियों के आंकड़े अलग
जमुई / सोनो संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
केवल भारत ही नहीं पूरी दुनियाँ में नया साल मनाने की तैयारी हो रही है । नदियों झीलों, समन्दर और पहाड़ों के पर्यटन स्थल और महानगरों में बार , होटल रेस्टोरेंट बुक हो चुके हैं । लेकिन एक बात समझ लें कि गत वर्ष सौ से अधिक युवा घर लौट ही नहीं सके थे ।
वे या तो नशे में गाड़ी चलाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हुये या नशे में हुये झगड़ों का शिकार बने थे । घायलों की संख्या भी सैकड़ों में रहीं । गत वर्ष केवल उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों पर छह मौतें ओर पचहत्तर घायल हुये थे ।
जिसमें आपसी झगड़ों में पुलिस ने आधी रात को 55 युवाओं को बंदी बनाया था । वर्ष 2024 के समापन का पल समीप आ गया है । भारत में यह वर्ष 2024 अनेक उपलब्धियों की सौगात देकर विदा हो रहा है ।
पूरी दुनियाँ के साथ भारत में भी नववर्ष 2025 के स्वागत का तैयारी की समाचार मीडिया में आने लगे हें । यह तैयारी पर्यटन स्थलों , होटलों , बार रेस्टोरेंट आदि में अधिक है ।
अंग्रेज क्रिसमस की इन छुट्टियों में मंसूरी नैनीताल आदि पहाड़ों पर जाया करते थे । अंग्रेज भले ही चले गये लेकिन छुट्टियों में पहाड़ों पर जाने की परंपरा छोड़ गये ।
पिछले वर्ष तो रास्ते में पाँच-पाँच किलोमीटर तक जाम लगा था । इसके अतिरिक्त बिते वर्ष हजारों लाखों लोगों द्वारा अपने नगर के होटलों में पार्टी देने की ही नहीं, कमरों की बुकिंग भी हो गई है ।
समय की तेज गति से अब यह प्रश्न पीछे छूट गया कि भारतीय परंपरा में नया साल कब आता है और कैसे मनाया जाता है । भारतीय शासन व्यवस्था और समाज जीवन एक जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा में ढल गया है ।
दैनिक जीवन के कार्य ही नहीं अब तो जन्म पत्रिकाएँ भी अंग्रेजी वर्ष के दिनांक से बनती हैं । कुण्डली दिखाने के लिये भी अंग्रेजी तारीख ही दी जाती है ।
यह आधुनिक नया साल प्रातः कालीन सूर्योदय से आरंभ नहीं होता । यह आधी रात से होता है । नये साल का उत्सव भी आधी रात को मनाया जाता है । आधी रात के इस उत्सव की दो विशेषताएँ होतीं हैं ।
प्रथम यह उत्सव बिना शराब पार्टी के पूरा नहीं होता और दूसरा अधिकांश आयोजनों में स्त्री पुरुष साथ होते हैं । हालाँकि कुछ पार्टियों में परिवार और पारिवारिक मित्रों के साथ होती हैं ।
लेकिन अनेक पार्टियों में भाग लेने वाले जोड़े , पति पत्नि नहीं बल्कि मित्र होते हैं । इनमें अधिकांश वे युवा होते हैं जो पढ़ाई या जाॅब के लिये घरों से बहुत दूर रहते हैं ।
पिछले साल नववर्ष की रात जो घटनाएँ घटीं थीं उनमें अधिकांश इसी प्रकार के समूहों के बीच घटीं थीं । जो हत्या , प्राण घातक मारपीट , बलात्कार एवं बलात्कार का प्रयास और बेहद घटिया छेड़छाड़ से भरीं थीं ।
वर्ष 2022 और 2023 के बीच एवं वर्ष 2023 और 2024 के बीच मनाये गये नववर्ष उत्सव की मध्य में रात्रि 10 बजे से 2-30 बजे के बीच केवल साढ़े चार घंटे में देश की राजधानी दिल्ली में कुल बत्तीस बड़े अपराध घटे थे । जिसमें उन्नीस बहुत गंभीर थे । इनमें चार मर्डर और बारह बलात्कार एवं बलात्कार का प्रयास थे ।
यदि इसमें दून , मुम्बई , बंगलूर , हैदराबाद तथा चैन्नई आदि 17 महानगरों के आँकड़े जोड़ें तो बड़े अपराधों की यह संख्या सौ से अधिक होती है । गत वर्ष केवल उत्तराखंड के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर झगड़े और दुर्घटनाओं में छह मौतें हुईं थीं।
जिसमें दून में चार , लालकुआँ भीमताल में एक और हल्द्वानी में एक मौत हुई थी । शराब के नशे में आधी रात को जो झगड़े हुये उनमें कुल 55 लोग बंदी बनाये गये थे ।
इनमें अकेले दून में तीस लोग बंदी बनाये गये थे । इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ के जशपुर में एक कार पेड़ से टकराई जिसमें चार मौतें , झारखंड में छह , हापुड़ में दो एवं जमशेदपुर में छह मौतें हुईं थी ।
नेशनल सिक्युरिटी काउन्सिल द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार देशभर मे नववर्ष की रात को कुल 104 मौतें हुईं थीं । गतवर्ष अर्थात 2023 की 30 एवं 31 दिसम्बर तथा वर्ष 2024 की एक जनवरी के इन तीन दिनों में कुल 308 मौतें हुईं थीं ।
दो वर्ष पहले दिल्ली में एक बेटी को लगभग चौदह किलोमीटर घसीटा गया था । यह घटना सुल्तानपुरी इलाके में घटी थी । वह 20 वर्ष की अंजलि थी । उसकी हड्डियां घिस चुकी थीं । शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था ।
यह घटना मीडिया की सुर्खियाँ में आई थी इसलिए दो साल बाद अब भी सबके ध्यान में है , लेकिन बाकी सब घटनाएँ एक दिन से आगे न बढ़ सकीं थीं ।
गत वर्ष नशे की पार्टियों से अलग कुछ टोलियाँ ऐसी भी थीं जो नया साल मनाने किसी होटल में नहीं धार्मिक स्थलों पर गये थे । नववर्ष पर ऐसी ही एक वैष्णों देवी से लौटते समय घटी । तेज रफ्तार गाड़ी खाई में गिरी और बारह लोग मारे गये ।
इन दुर्घटनाओं में मारे जाने वाले कितने ही युवा अपने माता पिता की इकलौती संतान थे । और वे बेटियाँ जो उत्साह से नववर्ष मनाने गईं लेकिन बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का शिकार हुईं ।
उनकी मनोदशा की कल्पना भी नहीं की जा सकती । वे पीड़ित प्रताड़ित युवा और उनके परिवार ये दर्द जीवन भर नहीं भूलेंगे ।
अपराध का ये आकड़े पहले नहीं हैं । हर साल ऐसी घटनाएँ घटतीं है । नववर्ष मनाने के पिछले दस वर्षों में ऐसी घटनाओं के आँकड़े लगातार बढ़ रहे हैं । ये आँकड़े वे हैं जो पुलिस तक पहुंचे ।
छेड़छाड़ आदि की कितनी घटनाएँ ऐसी होंगी जो पुलिस तक नहीं पहुँच सकी । इसका कारण यह है कि नववर्ष की पार्टी के लिये उत्साह का अतिरेक और नशा विवेक को शून्य कर देता है ।
जिससे वह न तो अपने भविष्य का आकलन कर पाता है और न पिछली घटनाओं से कोई सबक ही लेता है । इस वर्ष भी यही हो रहा है । नववर्ष का उत्सव मनाने की तैयारी के जो समाचार आ रहे हैं वे पिछले वर्ष से बहुत अलग नहीं है ।
इसे हम महानगरों के होटल बार और रेस्टोरेंट की बुकिंग से समझ सकते हैं ।
यह ठीक है कि दुर्घटनाएँ सभी के साथ नहीं घटतीं ओर अधिकांश लोग हँसी खुशी से ही अपने घर वापस लौट आयेंगे । और नववर्ष उत्सव के आनंद को मित्रों से साँझा करेंगे । पिछले सालों में भी ऐसा हुआ है ।
लेकिन सभी ऐसी सौभाग्यशाली नहीं होते । लेकिन जिन बेटे बेटियों का जीवन और मान संकट में पड़ता है उनकी क्षति की भरपाई कभी नहीं होती । इसलिए सावधानी और समझ दोनों आवश्यक है ।
किन मित्रों के साथ नया साल मनाना यह विचार आवश्यक है । जो युवक युवतियाँ अपने मित्रों के साथ नया साल मनाने जा रहे हैं वे सावधानी बरतें क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी ।