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तीन दिनों तक चलने वाला होली महापर्व का समापन

तीन दिनों तक चलने वाला होली महापर्व का समापन

जमुई / सोनो संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट 

 आकर्षक ओर मनोहर रंगों का त्योहार होली के मौके पर लोगों ने हर धर्म , संप्रदाय एवं जाति बंधन से मुक्त होकर भाईचारे का संदेश देते हुए एक दुसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली पर्व को मनाया । जिसमें सभी अपने पुराने गिले सिकवे को भुलाकर गले मिलते हुए होली महापर्व की शुभकामनाएं दी ।

वैसे तो भारतीय संस्कृति में हर महीने की पुर्णिमा को उत्सव मनाया जाता है लेकिन फाल्गुन मास की पुर्णिमा को लोग बड़े ही उत्साह से होली का उत्सव मनाया ।

जमुई जिले में लोग इस महापर्व होली को तीन दिनों तक मनाया , जिसमें गुरुवार को होलिका दहन कर बुराई को जलाकर भस्म कर दिया । शुक्रवार ओर शनिवार को रंग अबीर और गुलाल लगाकर होली महापर्व की खुशियां मनाई ।

इस महापर्व में खासकर युवाओं ओर बच्चों में काफी उत्साह देखा गया । बच्चों ओर युवाओं ने अपने से बड़ों को गुलाल लगाकर आशीष प्रदान किया । लोगों ने कहीं ढोल ओर झाल मंदिरा बजाकर तो कहीं डीजे की धुन पर थिरकते हुए नजर आए ।

बताते चलें कि होली महापर्व का शुभारंभ परंपरा के अनुसार पौराणिक समय में नंदगांव मे भगवान श्री कृष्ण ओर राधा की बरसाने होली के साथ प्रारंभ हुई । तब से लेकर आज तक होली का यह त्योहार लोगों के जीवन में उत्साह और उल्लास को दर्शाते आ रही है ।

पौराणिक कथाओं में इंद्र ने कामदेव को भगवान शिव की तपस्या को भंग करने का आदेश दिया , जिसपर कामदेव ने उसी समय बसंत को याद कर अपनी माया से बसंत का प्रभाव फैलाया , जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई ।

तपस्या भंग होते ही भगवान शिव ने रोष में आकर कामदेव को भस्म कर दिया ओर समस्त संसार के प्राणी को यह संदेश दिया कि होली में काम , मोह , लालच , धन ओर मद अपने पर हावी नहीं होने दें ।

तभी से यह महापर्व बसंत उत्सव ओर होलिका को जलाने की परंपरा प्राप्त हुई ओर अपने सभी गिले सिकवे भुलाकर एक दुसरे को गुलाल लगाकर खुशियां मनाने की शुरुआत हुई ।

ज्ञात हो कि आपसी प्रेम और सद्भावना को विशेष महत्व देते हुए तथा अपने सभी गिले सिकवे भुलाकर अनेकता में एकता का प्रतिक यह त्योहार होली शनिवार को शांति ओर सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हो गया है ।

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