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24 तत्वों से ब्रह्मांड का सृष्टि हुआ: श्री जीयर स्वामी जी महाराज

24 तत्वों से ब्रह्मांड का सृष्टि हुआ: श्री जीयर स्वामी जी महाराज

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

दावथ ( रोहतास): परमानपुर चातुर्मास व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्‍न जीयर स्वामी जी महाराज ने सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मांड के सृष्टि पर प्रकाश डाला। ब्रह्मांड की सृष्टि 24 तत्वों को मिला करके हुआ। उन 24 तत्वों को मिला करके एक अण्ड का निर्माण हुआ। उसी अण्ड में परम ब्रह्म परमेश्वर श्रीमन नारायण सूक्ष्म रूप में प्रवेश किए। जिसके बाद वहीं अण्ड ब्रह्मांड के रूप में प्रकट हुआ।

सृष्टि के प्रारंभ में जो 24 तत्व हुए उनमें पांच ज्ञानेंद्री, पांच कर्मेंद्री एवं पांच ज्ञानेंद्री के विषय, पांच कर्मेंद्री के विषय कुल मिलाकर 20 तत्व हुए और चार तत्व मन, बुद्धि, चित, अहंकार के रूप में प्रकट हुआ। कुल मिलाकर के 24 तत्व हुए।

यह जितने भी 24 तत्व हैं, जो अलग-अलग स्वरूप में थे, तो उसमें काम करने की क्षमता नहीं था। जब 24 तत्व मिलकर के एक अण्ड बना, तब भी यह कुछ काम नहीं कर सकते थे। क्योंकि जैसे शरीर होता है, लेकिन शरीर तभी काम करता है, जब उसमें आत्मा होती है। उसी प्रकार से जब इसमें परम ब्रह्म परमेश्‍वर सूक्ष्म रूप से प्रवेश किए, तब ब्रह्मांड अपना स्वरूप और कार्य के रूप में व्यवस्थित हुआ। इस प्रकार से ब्रह्मांड का निर्माण हुआ।

जब ब्रह्मांड का निर्माण हुआ, तब उसमें जो 24 तत्व थे, वह अपना स्थिति प्रदर्शित करने लगे। जैसे शरीर में जब जीव होता है। तब शरीर के सारे अंग काम करते हैं। जब ब्रह्मांड में परम ब्रह्म प्रवेश कर गए, तब इस ब्रह्मांड के तत्व के रूप में जो भी तत्व मौजूद थे, वह अपना स्वरूप दिखाने लगे। जैसे हाथ, पैर, आंख, नाक, चमड़ी का स्वरूप दिखाई पड़ने लगा।

जिस प्रकार से एक स्वस्थ इंसान के शरीर में हाथ पैर तथा शरीर के अंग समय-समय से विकसित होते रहते हैं, उसी प्रकार से ब्रह्मांड में 24 जो तत्व थे, वह अपना स्वरूप आकार ब्रह्म के प्रवेश करने के बाद दिखाई पड़ने लगे।

सृष्टि के प्रारंभ में भगवान श्रीमन नारायण ने तीन प्रकार का सृष्टि किया। सबसे पहला सृष्टि प्राणियों का हुआ, दूसरा सृष्टि प्रकृति का हुआ तथा तीसरा सृष्टि ज्ञान का हुआ।

प्राणियों की सृष्टि में भगवान श्रीमन नारायण से सबसे पहले नाभि से कमल प्रकट हुआ। कमल से ब्रह्मा जी हुए, ब्रह्मा जी से पूरा सृष्टि का विस्तार हुआ। प्रकृति के सृष्टि में भगवान श्रीमन नारायण ने जल, वायु, आकाश, अग्नि, पेड़, पौधे इत्यादि का सृष्टि किया।

ज्ञान की सृष्टि में भगवान श्रीमन नारायण ने कई प्रकार की सृष्टि किया। जिसमें संपूर्ण मानव जीवन को जीने के लिए मानव को शिक्षा, इतिहास, पुराण, ग्रंथ इत्यादि का सृष्टि किया। जिससे प्राणियों का मार्गदर्शन प्राप्त हो सके।

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