
उत्तर प्रदेश चंदौली का ताजा खबर…
भारतीय किसान यूनियन टिकैत की बाइक और ट्रैक्टर तिरंगा यात्रा जिले के तमाम ब्लाकों क्रमशः नौगढ़, चकिया,सहाबगंज, चंदौली,बरहनी,दीनदयालउपाध्याय नगर, सकलडीहा, धानापुर, चहनियां से ब्लाक और तहसील अध्यक्षों के नेतृत्व में भाई चारा का संदेश देते हुवे चंदौली बिछियां धरने स्थल पर पहुंची। धरने पर पहुंचकर जुलूस की शक्ल में बाइक और ट्रैक्टर विकाश भवन से एसपी आफिस से सकलडीहा बस स्टैंड से पालीटेक्निक होते हुवे पुनः कमलापति हास्पिटल से कचहरी के रास्ते बिछिया धरने स्थल पर पहुंचकर महा महिमा रास्ट्रपति के नाम 11 सूत्रीय मांग पत्र नायब तहसीलदार चन्दौली अंजनी को सौंपा। ज्ञापन में मांगे क्रमशः केटा नहीं चाहिए, अमेरिका के साथ एफटीए नहीं चाहिए।
केटा ने अमेरिका से प्रोसेस्ड फूड, डेयरी, सब्जियाँ और फल का आयात बढ़ा दिया है। इसने भारत में फूड प्रोसेसिंग में विदेशी निवेश एफडीआई को भी बढ़ाया है, जिससे किसानों की आय और छोटे कृषि व्यवसायों को नुकसान पहुँचेगा। अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है जिससे जीएम खाद्य पदार्थों, अनाज, सोया, मक्का, कपास का भारी मात्रा में आयात और एमएनसीएस की भारतीय अर्थव्यवस्था में बिना नियंत्रण प्रवेश को बढ़ावा मिलेगा। किसान भारत पर अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा थोपे गए 25% टैरिफ को भारत की संप्रभुता पर हमला मानता है और इसका कड़ा विरोध करता है, एनपीएफएम नहीं चाहिए, एनसीपी (राष्ट्रीय सहकारी नीति) नहीं चाहिए,नवंबर 2024 में घोषित पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चरल मार्केटिंग का उद्देश्य एपीएमसी मंडियों, सरकारी मार्केट यार्डों का निजी पूंजी के साथ पीपीपी मोड में आधुनिकीकरण करना है, जिसमें अनाज की हैंडलिंग, भंडारण और फूड प्रोसेसिंग का मशीनीकरण शामिल है,जुलाई 2025 में घोषित नई नेशनल कोऑपरेटिव पॉलिसी ग्राम पंचायत स्तर पर एफपीओज को एकल बिंदु बनाती है जहाँ से किसानों को कर्ज, बीज, उर्वरक, कीटनाशक, खेती की सेवाएँ जैसे जुताई, बुआई, सिंचाई, बिजली, स्प्रे, कटाई, खाद्यान्न की खरीद, भंडारण, बाज़ार संपर्क आदि मिलेंगे। ये एफपीओज लाभ कमाने वाली इकाइयाँ होंगी जिनमें सदस्य लाभ में भागीदार होंगे, न कि किसानों को उचित एमएसपी या कृषि श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा देने के लिए दोनों नीतियाँ संयुक्त रूप से फसल चक्र बदलकर व्यापारिक फसलें उगाने को मजबूर करेंगी जिससे कॉरपोरेट खाद्य प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा मिलेगा। इससे किसान की स्वतंत्रता और आत्मनिर्भर खेती खत्म होगी। सरकारी खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली पीडीएस और देश की खाद्य सुरक्षा कमजोर होगी। किसान इन नीतियों को राज्य सरकारों के संघीय अधिकारों पर हमला और केंद्र सरकार द्वारा सत्ता केंद्रीकरण तथा कृषि के कॉरपोरेटीकरण के रूप में देखता है और इसका विरोध करता है। सी टू प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले पर सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी की गारंटी हो और सरकारी खरीद सुनिश्चित की जाए।समग्र कर्ज माफी हो, माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा उत्पीड़न बंद हो,माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं एमएफआई के एजेंट पूर्वजों जैसे सूदखोर जमींदारों की तरह व्यवहार कर रहे हैं। एमएफआई भारतीय रिज़र्व बैंक के पैसे से ऋण देकर व्यापार कर रही हैं। भूमिहीन गरीब, दलित, आदिवासी और अन्य लोग एजेंटों के अत्याचार से अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं। महिलाएँ और बच्चियाँ उत्पीड़न और अपहरण का शिकार हो रही हैं। गहरे कृषि संकट के कारण लोग अत्यंत गरीब हैं और ऋण चुकाने में असमर्थ हैं। संयुक्त किसान मोर्चा जनता से अपील करता है कि अन्नदाता का सम्मान और प्रतिष्ठा लौटाएँ।कानून बनाकर गाँवों में उत्पादक सहकारी समितियों की स्थापना की जाए जो किसान और कृषि श्रमिक परिवारों को बिना ब्याज कर्ज दें और एमएफआई ऋण प्रणाली को 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर सख्ती से नियंत्रित किया जाए, बिजली क्षेत्र के निजीकरण का विरोध हो; स्मार्ट मीटर नहीं चाहिए,लंबित बिजली बिलों को माफ किया जाए; ग्रामीण क्षेत्र को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए: ग्रामीण इलाकों को प्रति दिन 18 घंटे बिजली उपलब्ध हो, जिसमें सिंचाई के लिए पंप सेट शामिल हों,राज्य सरकारों ने ग्रामीण उपभोक्ताओं पर आरोप लगाकर बिजली बिलों को कृत्रिम रूप से बढ़ा दिया है जिससे उन्हें बकाया का दोषी ठहराया जा सके। ग्रामीण जनता को कार्पोरेट समर्थित, बहुराष्ट्रीय कंपनियों की नीतियों के कारण आय और रोज़गार के गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। बिजली क्षेत्र में घाटा महंगी दरों पर निजी उत्पादकों से बिजली खरीदने और निजी वितरकों को सब्सिडी देकर सस्ती आपूर्ति के कारण हो रहा है, जो मुनाफा तो कमाते हैं पर सरकार को भुगतान नहीं करते। सरकारी विभागों ने भी अपने बिल जमा नहीं किये हैं।पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग नीति को अस्वीकार करो,2013 का एलएआर आर अधिनियम सख्ती से लागू किया जाय,पंजाब सरकार ने शहरीकरण के लिए सैकड़ों गाँवों को लैंड पूलिंग में शामिल किया है और कहा है कि भूमि का हिस्सा विकसित प्लॉट के रूप में लौटाया जाएगा। इससे ज़मीन वाले किसानों के स्वामित्व अधिकार, गिरवी रखने के अधिकार पर रोक लग गई है। इसने गाँव की साझा ज़मीन पर भूमिहीनों के अधिकारों को पूरी तरह खत्म कर दिया है और कंपनियों के ज़मीन अधिग्रहण का रास्ता बना दिया है।सभी सरकारी पेंशन ₹10,000 प्रति लाभार्थी दी जाए,जीवन यापन की लागत में भारी वृद्धि को देखते हुए, कानून बनाकर पेंशन (वृद्धावस्था, विधवा, विकलांग) को मौलिक अधिकार बनाया जाए,पुराने ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध लगाने की सरकारी नीति को अस्वीकार करते हैं,केंद्र सरकार द्वारा 10 वर्ष से अधिक पुराने सभी डीजल वाहनों और ट्रैक्टरों को प्रतिबंधित करने की योजना अव्यावहारिक है और यह पूरी तरह से कॉरपोरेट मुनाफे और राजनीतिक भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली है।विश्व आदिवासी दिवस और मूलवासी दिवस को सरकार तवज्जो दे,वन अधिकार अधिनियम 2006 को इसकी मूल भावना में लागू किया जाए। आदिवासी और अन्य वनवासियों का विस्थापन नहीं हो, जंगलों की कटाई नहीं हो, और कॉरपोरेट खनन कंपनियों और रियल एस्टेट द्वारा पर्यावरणीय विनाश बंद हो,उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों को बंद करने की नीति नहीं चाहिए:
योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार 50 से कम छात्रों वाले 5000 प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करके बंद कर रही है। यह स्कूल की ज़मीन और संपत्ति को निजी स्वामित्व में बेचने की योजना है। हालांकि आदेश को रोक दिया गया है, इस योजना से स्कूलों की दूरी बढ़ेगी। स्कूलों में कम उपस्थिति का कारण शिक्षा की बदहाल स्थिति, अंग्रेजी मीडियम ना होना और शिक्षकों की कमी है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सरकार फीस प्रतिपूर्ति देकर निजी स्कूलों को बढ़ावा दे रही है और सरकारी स्कूलों को बंद कर रही है,पुलिस और प्रशासन द्वारा समर्थित साम्प्रदायिक हिंसा को रोका जाए:
अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों और वंचित वर्गों पर धर्म आधारित संगठित गिरोहों द्वारा कानूनविहीन हमले, उनके घरों और झुग्गियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करते हुए बुलडोज़र से तोड़ना, डबल इंजन वाली सरकारों में तेजी से बढ़ रहा है। निर्दोष लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करना बंद किया जाए, सभी झूठे मुकदमे वापस लिए जाएँ और गिरफ्तार व बंद लोगों को रिहा किया जाए। मछुआरा समुदाय से मुफ्त में नदी में मछली पकड़ने के अधिकार छीनने का आदेश वापस लिया जाए। मछली पकड़ने के अनुबंध देना बंद किया जाए। मंडल प्रवक्ता मणि देव चतुर्वेदी ने कहा कि अगर सरकार किसानों मजदूरों और आम जनता के हितों के मुद्दों की अनदेखी करेगी तो राकेश टिकैत के नेतृत्व में देश मे जन आंदोलन होगा। भाकियू टिकैत देश और चंदौली के जनता के साथ हर समस्या के साथ खड़ी है। जिले की समस्याओ को लेकर एक प्रतिनिधि मंडल जल्द ही जिलाधिकारी से मिलेगा। जिलाध्यक्ष सतीश सिंह चौहान ने कहा कि शासन जिले में किसान मजदूरों की जमीन बिना मुवावजा और स्थापित किये बिना उजाड़ रही है, ऐसी तानाशाही को संगठन नही चलने देगा। संगठन आखिरी सांस तक जिले की लड़ाई लड़ेगा। बाइक रैली में तमाम ब्लाकों और तहसीलों के नेतृत्वकर्ता क्रमशः तहसील अध्यक्ष चन्दौली कन्हैया, सकलडीहा श्रवण मौर्या,चकिया रूपेंद्र सिंह,डीडीयू नगर .….. ब्लाक अध्यक्ष चंदोली प्रभाकर मौर्या,बरहनी जीउत,धानापुर जिऊत पाल,चहनियां बहादुर यादव, हाकिम अंसारी सकलडीहा, डीडीयू नगर विनोद चौहान, भोलई सहाबगंज से बाइक का नेतृत्व करते हुवे मुख्यालय पर पहुंचे।रैली में जिलाउपाध्यक्ष छोटे लाल चौहान, नगर अध्यक्ष राजीव कुमार, सचिव श्यामजीत सिंह,मीडिया प्रभारी आनंद मौर्य,छोटू यादव, आदि आदि सैकड़ों बाइक और ट्रैक्टर मौजूद रहे।