
ब्रह्मा जी के नौ पुत्रों का विवाह कर्दम ऋषि के 9 पुत्रीयों के साथ हुआ था: श्री जीयर स्वामी जी महाराज
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
दावथ (रोहतास): परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने ब्रह्मा जी के सृष्टि में उनके नौ पुत्रों के विवाह पर विस्तार से प्रकाश डाले।
सृष्टि के शुरुआत में भगवान श्रीमन नारायण के नाभि से कमल, कमल से ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा जी से 10 ऋषि पुत्र हुए। उनमें से एक नारद जी जन्म के बाद से ही साधना तपस्या में घूमते रहते थे। वहीं ब्रह्मा जी के नौ पुत्रों का विवाह करना था।
एक दिन ब्रह्मा जी ने कर्दम ऋषि से कहा महाराज आपकी नौ कन्याएं हैं, यदि आपकी नौ कन्याओं का विवाह मेरे नौ पुत्रों के साथ हो जाता तो बहुत अच्छा होता। वही कर्दम ऋषि भी अपनी कन्याओं का विवाह करने के लिए प्रयत्न कर रहे थे।
ब्रह्मा जी के द्वारा प्रस्ताव से मन ही मन बहुत खुश हुए। क्योंकि विवाह में लेनदेन की चर्चा होती है। उस समय विवाह में थोड़ा सा कड़वाहट हो जाती है। जिससे बना बनाया काम भी बिगड़ जाता है। लेकिन ब्रह्मा जी ने अपने पुत्रों के विवाह के लिए स्वयं प्रस्ताव रख दिया था।
कर्दम ऋषि और देवहूति से नौ कन्याएं हुई थी तथा कर्दम ऋषि के एक पुत्र हुए थे। जिनका नाम कपिल मुनि भगवान था। जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। जब कर्दम ऋषि विवाह नहीं कर रहे थे, साधना, तपस्या में रहना चाहते थे।
वही भगवान श्रीमन नारायण ने एक बार प्रकट होकर कर्दम ऋषि से कहा कि आप साधना तपस्या से क्या प्राप्त करना चाहते हैं। कर्दम ऋषि ने कहा साधना तपस्या का मुख्य उद्देश्य आपको प्राप्त करना है।
वहीं भगवान श्रीमन नारायण ने कर्दम ऋषि से कहा कि आप विवाह कर लीजिए। हम आपके यहां पुत्र के रूप में जन्म लेंगे। वहीं कर्दम ऋषि मनु और शतरूपा की तीन पुत्री में से एक पुत्री देवहूती से विवाह किए। वही कर्दम ऋषि और देवहूती से नौ कन्याए भी हुई।
कर्दम ऋषि के नौ कन्याओं का नाम इस प्रकार है कला, अनसूईया, श्रद्धा, हविर्भू, गति, क्रिया, ख्याति, अरुंधति और शांति। अब ब्रह्मा जी के नौ पुत्र हुए जिनका नाम मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, ऋतु, भृगु, वशिष्ठ, अथर्वा इत्यादि हुए।




















