पैसा भी देते हैं कम बाल मजदूर को लेकर गंभीर नहीं हैं अधिकारी
अरवल जिला ब्यूरो बिरेंद्र चंद्रवंशी की रिपोर्ट
करपी (अरवल) औरंगाबाद एवं अरवल दो जिले के बॉर्डर की आड़ में संचालित ईट भट्टे पर नाबालिक से लिया जा रहा है काम। औरंगाबाद जिले के देवकुंड थाना एवं अरवल जिले के शहर तेलपा थाना क्षेत्र में संचालित इंट भट्टों पर नाबालिक बच्चो ट्रैक्टर से ईट उतारने का काम कर रही है। यह दृश्य मदद का नहीं है। बल्कि अपनी भूख को मिटाने के लिए मजदूरी कर रही है। ईंट भट्टे पर काम करने वाले इसके परिजन मजदूरी करवा रहे हैं। जिसे देखकर समाज के नैतिकता साथ-साथ पुलिस प्रशासन पर भी सवालिया निशान प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। जिनके हाथों में कलम कॉपी होना चाहिए। वह कड़ाके की ठंड में लहूलुहान हाथों से ईंट उतारने का काम कर रही है। इस मामले में सरकार लाख दावा कर ले कि नाबालिग एवं अवयस्क बच्चों से काम लेना नियम के उल्लंघन जुर्म है। लेकिन सत्य इससे परे है। सरकार के द्वारा प्रतिदिन अध्यादेश जारी किया जाता है कि 14 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों से काम लेना संगीन अपराध है। और इसे रोकने के लिए जागरूकता के साथ संबंधित पदाधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। काश ऐसे बच्चों के लिए न तो सरकारी नीति और नाहीं सामाजिक परिवेश चिंतित है। यही कारण है कि इनके लिए शिक्षा का रास्ता साफ नहीं हो सका है। नैतिकता या हमारी व्यवस्था पर ऐसे बच्चे प्रश्न पूछते हैं। हालांकि इसे रोकने के लिए सरकारी एजेंसियों के अलावे परिजन को भी जिम्मेवारी बनती है। फिर भी सच यह है कि इनके परिजन पर रूढ़िवादिता इस कदर हावी है कि बचपन से ही इन्हें पेट के भरने एवं भूख मिटाने के लिए एकमात्र उपाय बताया जाता है। अपनी किस्मत को दुहाई देने वाले लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। लेकिन हमारी एवं आपकी व्यवस्था इनके गरीबी पर उपहास उड़ा देती है और किस्मत का तकाजा देकर इनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर देती है। परिणाम स्वरूप इस तरह के बच्चे से काम लेना लोग मजदूरी नहीं योगदान मान लेते हैं।