सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
संत सदगुरु महर्षि मेंही परमहंस जी महाराज की 140 विं पावन जयंती बुधवार को बटिया में समारोह पूर्वक ओर धुमधाम से मनाया गया है ।
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी बैशाख शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि को बटिया बाजार स्थित सत्संग मंदिर में रथ रुपी सुसज्जित वाहन के साथ बड़ी संख्या में शामिल महिला ओर पुरुषों ने प्रभात फेरी निकाल कर लोगों को आपस में एकता का परिचय दिया ।
इस दौरान लोगों ने हर घर में प्रचार हो प्रचार हो, संतमत का अमर संदेश , गुंजे सारे देश विदेश , धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो आदि उच्चारण करते चल रहे थे ।
प्रभात फेरी सत्संग मंदिर बटिया से निकलकर हरनिटांड़ , काली पहाड़ी , झुमराज बाबा मोड़ , सीआरपीएफ कैंप परिसर के रास्ते दहियारी मोड़ तक पहुंचकर पुनः वापस सत्संग मंदिर लोट गई ।
प्रभात फेरी से पुर्व सत्संग मंदिर के मुख्य महात्मा श्री अभिशेखानंदजी महाराज के द्वारा भव्य सत्संग का आयोजन किया गया ।
प्रवचन के दौरान महात्मा श्री अभिशेखानंदजी महाराज ने कहा कि भगवान के प्रति पुर्ण समर्पण तब तक नहीं होगा आपमे विवेक नहीं होगा ।
क्योंकि आनंद कहीं बाहर नहीं वो तो आपके भीतर ही हैं , लेकिन मनुष्य ने मन के चारों तरफ संसार के मोह की चादर लपेट रखी है । इसलिए वो आनंद ढक जाता है ओर उन्हें महसूस नहीं होता ।
उन्होंने आगे कहा कि हमें सत्संग ओर शास्त्रों से यह पता चलता है कि मानव जीवन को सफल बनाने के लिए हमें सत्संग से अलग नहीं रहना चाहिए ।
क्योंकि सत्संग सभी मंगलों का मुल है , जैसे फुल से फल , फल से बीज ओर बीज से वृक्ष होता है उसी प्रकार सत्संग से विवेक जागृत होता है ओर विवेक जागृत होने के बाद भगवान से प्रेम होता है ओर प्रेम से प्रभु की प्राप्ति होती है ।
उन्होंने आगे कहा कि जीवन मिलने के बाद मनुष्य वस्तुएं जुटाने में समय नष्ट कर दिया , जिस अनमोल रतन मानव जीवन को पाने के लिए देवता भी तरसते हैं उस जीवन को पाकर भी मनुष्य व्यर्थ गंवा देते हैं ।
कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात भंडारा का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में सत्संगियों ने प्रसाद रुपी भोजन ग्रहण किया ।
प्रभात फेरी कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंदिर के संचालक बलभद्र बरनवाल , सचिव शंभु बरनवाल के अलावा देवानंद बरनवाल , गोपाल बरनवाल , कपिलदेव माथुरी , ओंकार बरनवाल , डॉ मनोज बरनवाल , प्रहलाद बरनवाल ,
अभिषेक बरनवाल , मौनु बरनवाल , रामानंद बरनवाल , जयंती देवी , कंचन कुमारी , ममता देवी , चंचला देवी , सावित्री देवी सहित बड़ी संख्या में महिला , पुरुष और कुंवारी कन्या शामिल थी ।