
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
दावथ ( रोहतास) प्रखंड भर में कायस्थ समाज के लोगों ने रविवार को श्री चित्रगुप्त महाराज की पूजा-अर्चना की।
इस अवसर पर दावथ में प्रतिमाएं स्थापित कर बड़े धूमधाम से चित्रगुप्त महाराज की पूजा-अर्चना की गई। कायस्थ समाज के लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच कलम, दवात, कॉपी व पुस्तक की पूजा की गई।
दावथ के वीं आई पी मोहल्ला में कायस्थ समाज ने भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज की पूजा-अर्चना की व मनोवांछित कामना की। पंडित अमन पाण्डेय ने वैदिक मंत्रों से पूजा अर्चना करवाया।
पौराणिक आख्यानों के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद ब्रह्माजी चिंतातुर हो गए। चिंता का कारण था- सकल सृष्टि की देखरेख एवं लेखा-जोखा रखना। कोई उपाय न सूझने पर ब्रह्माजी 12 हजार वर्ष की अखंड समाधि में लीन हो गए।
इसके बाद उनकी काया से एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ, जिनका नाम ब्रह्माजी ने कायस्थ रखा और कहा कि समस्त जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखना ही तुम्हारा दायित्व है।
युवावस्था में उनका विवाह इरावती एवं शोभावती नामक कन्याओं से हुआ, जिनकी प्रथम पुत्र से चार एवं द्वितीय से आठ पुत्र उत्पन्न हुए।
इन पुत्रों का नामकरण इनके शासित प्रदेश के आधार पर क्रमश: श्रीवास्तव, निगम, कर्ण, कुलश्रेष्ठ, माथुर, सक्सेना, गौड़, अस्थाना एवं वाल्मिकी आदि किया गया। आज भी कायस्थ वंश की उपजातियां इन्हीं नामों से अपनी पहचान कायम रखे हैं।