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आईएचआईपी के जरिए फाइलेरिया की रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी आसान

बिहार पटना से संतोष राउत की रिपोर्ट 

  • प्रशिक्षण का शुभारंभ, एमडीए कार्यक्रम को मिलेगी मजबूती

पटना, 18 दिसंबर: फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को साकार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार नई तकनीकों को अपना कर तैयारी कर रहा है.

अब इंटीग्रेटेड हेल्थ इंफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) के माध्यम से फाइलेरिया रोग की रियल टाइम मॉनिटरिंग संभव होगी.

इससे न केवल केस आधारित जानकारी का सटीक संधारण किया जा सकेगा बल्कि इसके साथ फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को नयी गति मिलेगी.

यह जानकारी बुधवार को पटना के एक निजी होटल में आयोजित आईएचआईपी के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, फ़ाइलेरिया डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने दी.

उन्होंने कहा कि आईएचआईपी के माध्यम से डेली कवरेज, माइक्रोफाइलेरिया सर्वे, पॉजिटिव मरीजों की सूची, टीएएस और प्री-टीएएस जैसे महत्वपूर्ण डेटा का संधारण आसान होगा.

प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर जोर

डॉ. परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य राज्य के फाइलेरिया उन्मूलन से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों को आईएचआईपी के उपयोग की जानकारी देना है.

प्रशिक्षण के बाद ये अधिकारी अपने-अपने जिलों में जाकर इस प्रणाली को लागू करने के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे. इससे एमडीए को समयबद्ध तरीके से सफलतापूर्वक संचालित किया जा सकेगा.

प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन पीरामल संस्था द्वारा किया गया. राज्य फाइलेरिया सलाहकार डॉ. अनुज सिंह रावत ने कार्यक्रम की शुरुआत सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए किया.

पीरामल संस्था के राज्य लीड बासब रूज ने कहा कि फाइलेरिया डेटा एंट्री और तकनीकी सहयोग के लिए उनकी संस्था हर स्तर पर स्वास्थ्य विभाग को सहयोग करेगी. वहीं, पिरामल की प्रीती ने कार्यक्रम का संचालन किया.

फाइलेरिया सूचना प्रणाली होगी मजबूत

प्रशिक्षण के दौरान डब्ल्यूएचओ के स्टेट कोर्डिनेटर, एनटीडी, डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि आईएचआईपी में फाइलेरिया रोग को शामिल किए जाने से फाइलेरिया सूचना प्रणाली और अधिक मजबूत होगी. उन्होंने बताया कि माइक्रोफाइलेरिया सर्वे के जरिए नए संक्रमित मरीजों की पहचान होगी.

एमडीए के दौरान माइक्रो प्लान बनाना आसान होगा. मरीजों की लाइन लिस्टिंग के नियमित अपडेट से कार्यक्रमों का संचालन प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा.

उन्होंने बताया कि आईएचआईपी के माध्यम से फाइलेरिया रोग की रियल टाइम मॉनिटरिंग न केवल डेटा सटीकता को बढ़ाएगी, बल्कि एमडीए कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने में एक मील का पत्थर साबित होगी.

फाइलेरिया उन्मूलन के इस प्रयास में स्वास्थ्य विभाग और सहयोगी संस्थाओं की सहभागिता इस लक्ष्य को जल्द ही हासिल करने में मददगार होगी.

सहयोगी संस्थाओं की भागीदारी

कार्यक्रम में सहयोगी संस्थाओं जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, पिरामल स्वास्थ्य, सीफार, पीसीआई, और लेप्रा के प्रतिनिधियों ने आईएचआईपी में अपने-अपने सहयोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

राज्य स्वास्थ्य समिति के स्टेट सर्विलांस अधिकारी डॉ. रंजीत ने जिला और प्रखंड स्तर पर सहयोग देने का आश्वासन दिया.

डब्ल्यूएचओ के नेशनल कोऑर्डिनेटर आईएचआईपी एवं मुख्य प्रशिक्षक डॉ. श्याम सिंघल ने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से फाइलेरिया रोग की रिपोर्टिंग और उससे संबंधित फॉर्म भरने की प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी साझा की. उन्होंने हैंड्स ऑन ट्रेनिंग देकर प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया.

इस अवसर पर पीसीआई की डॉ. पंखुड़ी मिश्रा, सीफार के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक रणविजय कुमार एवं रणजीत कुमार, उप कार्यक्रम प्रबंधक, सिफार, डब्यूएचओ के जोनल कोर्डिनेटर डॉ. माधुरी देवराजू, डॉ. दिलीप कुमार, डॉ. अरुण कुमार सहित लेप्रा के अधिकारी एवं 38 जिलों से आए जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर, वीबीडीसी, वीभीडीएस सहित इपीडीम्योलोजिस्ट उपस्थित थे.

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