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पक्षियों की गणना हेतु, पक्षी विशेषज्ञ अरविन्द मिश्रा एंड टिम पहुंचे नागी पक्षी आश्रयणी

  • मुंगेर वन प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जैसवाल। दिखा रहें हैं काफी दिलचस्पी।
  • वहीं बर्ड गाईड संदीप लगातार पर्यटकों को, पक्षियों की दे रहे हैं जानकारी।
  • तमाम वन रक्षको ने भी किया सहयोग।

जमुई जिला ब्यूरो बिरेंद्र कुमार की रिपोर्ट 

दिनांक: 10 दिसंबर 2024: बिहार के एशियाई मध्य शीतकालीन जल पक्षी गणना कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के दुसरे और तीसरे रामसर स्थल नागी और नकटी सहित जमुई जिले के 12 जलाशयों में पक्षी गणना का कार्य दिनांक 6 से 9 फ़रवरी 2025 तक बिहार के जाने-माने पक्षीविद अरविन्द मिश्रा के नेतृत्व में किया जा रहा है I

उनके साथ खगड़िया जिले के युवा प्रशांत कुमार के अलावा नागी के कुशल बर्ड गाइड संदीप कुमार, मनीष कुमार यादव, युगल कुमार, प्रदीप कुमार और अवधेश कुमार भी शामिल हैं I यह कार्य वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार के सहयोग से किया जा रहा है I

इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बी० एन० एच०एस० ) का तकनीकि सहयोग शामिल है I पर्यावरण मंत्री डॉ० प्रेम कुमार भी इस कार्यक्रम में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं और कहीं – कहीं तो खुद भी शामिल हो रहे हैं I

पिछले वर्ष राज्य के 87 जलाशयों में जल पक्षी गणना का कार्य किया गया था जबकि इस वर्ष 110 से भी ज्यादा जलाशयों को इसमें शामिल किया जा रहा है I

महत्वपूर्ण जलाशयों में राज्य के जलाशयों में पक्षियों की गणना का मुख्य उद्देश्य जलाशयों की वर्तमान स्थिति का आकलन, उन पर मंडराते खतरों का अध्ययन और जलाशयों के प्रति आम लोगों में जागरूकता और उनकी सहभागिता को बढ़ाना है I किसी भी जलाशय की स्थिति की प्रथम सूचना पक्षियों की उपस्थिति से ही हमें प्राप्त होती है I

जमुई जिले में विगत तीन दिनों में नागी, नकटी, बेला टांड, पैलबाजन, देवन आहर, झाझा के रेलवे तालाब, धमना आहर, राजा आहर के अलावा तीन नई जगहों पर भी जल पक्षी गणना की गई जिनमें धमना आहर के निकट दिघरा ताल, सोनो प्रखंड के तिलवरिया जलाशय और परमनिया जलाशय भी शामिल हैं I कल खैरा के वृहत गरही जलाशय में भी पक्षी गणना की जायगी I

शीत के शुरुआती काल में राज्य के करीब 10-12 महत्वपूर्ण जलाशयों में बीते दिसंबर में पक्षियों का मुआयना किया गया था जिसमें जमुई के नागी, नकटी और गरही जलाशय शामिल थे I इन जलाशयों में शीत काल की समाप्ति के उपरांत अप्रैल माह की शुरुआत में भी गणना की जायगी I

नागी पक्षी आश्रयणी में दिसंबर माह में 44 प्रजाति के लगभग 2000 पक्षियों की गिनती की गई थी जबकि अभी यहाँ पक्षियों की संख्या करीब 7000 है।

जिनमें राजहंस यानि बार हेडेड गूज 800, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानि लालसर 2500, यूरेशियन कूट यानि सरार 2000, कॉटन पिग्मी गूज यानि गिर्री 500 के अलावा लिटिल ग्रीब यानि पनडुब्बी, वीजन यानि छोटा लालसर, गडवाल यानि मैल, कॉमन पोचार्ड यानि बुरार, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानि शिवा हंस आदि भी अच्छी संख्या में दिखे I

ऑस्प्रे यानि मछलीमार और बूटेड ईगल यानि गिलहरीमार को शिकार करते देखकर भी मज़ा आया I प्रवासी स्टोर्क पक्षी ब्लैक स्टोर्क यानि सुरमल को इस बार भी देखा गया I

ग्रे लैग गूज यानि सिलेटी सवन और रूडी शेलडक यानि चकवा पक्षी इस बार नागी में नजर नहीं आए किन्तु धमना आहर में ग्रे लैग गूज को करीब 850 की संख्या में देखा गया I

यहाँ पक्षियों की गिनती में बिहार आर्द्र भूमि प्राधिकरण के सचिव श्री एस० चंद्रशेखर भी दल के साथ शामिल हुए I जमुई में पहली बार कॉम्ब डक यानि नक्ता को भी धमना आहर में देखा गया I

नकटी पक्षी आश्रयणी में इस बार करीब दस हजार पक्षियों को देखना अद्भुत रहा I यहाँ रेड क्रेस्टेड पोचार्ड यानि लालसर सबसे ज्यादा करीब 4000 की संख्या में देखे गए I

इसके अलावा यूरेशियन कूट भी 2000, स्थानीय पक्षी लेसर व्हिसलिंग डक यानि छोटी सिल्ली 1500 के अलावा वीजन यानि छोटा लालसर, गडवाल यानि मैल, कॉमन पोचार्ड यानि बुरार, नोर्दर्न पिनटेल सींखपर, ग्रेट क्रेस्टेड ग्रीब यानि शिवा हंस और स्थानीय लिटिल कॉर्मोरेंट यानि छोटा पनकौवा भी अच्छी संख्या में दिखे I यहाँ जल का स्तर दिसंबर की तुलना में आधा ही दिखा I

हालाँकि राजा आहर में जल का खुला क्षेत्र ज्यादा दिखाई दिया जल वनस्पतियों की झाड़ियाँ भी कम थी परन्तु यहाँ मछली मारने के डाक होने और इस कारण नौका परिचालन के कारण पक्षियों की संख्या में कुछ कमी देखि गई I

धमना आहर के निकट छोटे से 5-7 एकड़ के दिघरा ताल में 115 की संख्या में कॉमन टील यानि छोटी मुर्गाबी के साथ लालसर, गडवाल, पिनटेल आदि के साथ पक्षियों की खासी विविधता दिखी I

सोनो प्रखंड के तिलवरिया और परमनिया जलाशय में करीब 500- 500 की संख्या में प्रवासी और देसी पक्षियों के जमावड़े को निर्भय और स्वछन्द विचरते देखा गया I बेला टांड को तो पक्षियों की विविधता को लेकर जमाने से जाना जाता है I

देवन आहर में भी पक्षियों की खासी संख्या देखी गई परन्तु पैलबाजन, जहाँ छोटे से जलाशय में दुर्लभ प्रवासी पक्षी दीखते थे, अरविन्द मिश्र ने बताया कि अब मैं इस जलाशय को मरते हुए देख रहा हूँ I

प्रवासी पक्षियों में मात्र तीन लालसर और तीन गडवाल ही नजर आए I देसी या स्थानीय पक्षी भी नगण्य संख्या में दिखे I पूरा जलाशय खर पतवार से भरा था और विसर्जन की सामग्रियों और मूर्तियों के ढाँचे से पटा पड़ा था I

झाझा के रेलवे पोंड में भी जलीय घास काफी थी परन्तु लेसर व्हिसलिंग डक यानि छोटी सिल्ली की संख्या यहाँ 1500 से भी अधिक थी I

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य अरविन्द मिश्रा ने बताया कि इस दल में भागलपुर से आए प्रशांत कुमार, जमुई के अनुभवी बर्ड गाइड संदीप कुमार, मनीष कुमार यादव के साथ वनरक्षी भी शामिल थे I

जमुई वन प्रमंडल के वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री तेजस जायसवाल का इस कार्यक्रम में मुख्य सहयोग रहा तथा वनपाल अनीश राठोर की सहायता से सारी व्यवस्था की गई I वनरक्षी मनोरंजन कुमार, पंकज कुमार और सुधीर चौधरी भी इस दल के साथ अध्ययन में शामिल रहे I

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