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पंचमुखी हनुमान मंदिर बटिया में धुमधाम से मनाया गया राम नवमी

पंचमुखी हनुमान मंदिर बटिया में धुमधाम से मनाया गया राम नवमी

जमुई/ सोनो संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट

 हर साल की भॉति इस वर्ष भी सोनो प्रखंड के बटिया में स्थित प्रसिद्ध व एकमात्र पंचमुखी हनुमान मंदिर में रविवार को राम नवमी का त्योहार धुमधाम से मनाया गया । मंदिर के विद्वान पुजारी पंडित मिथलेश कुमार पॉडेय के द्वारा विधिवत पूजन अर्चन के साथ ध्वजारोहण किया गया ।

यजमान के रूप में मंदिर कमेटी के सभी सदस्यों में प्रह्लाद बरनवाल , बलभद्र बरनवाल , राजेश गुप्ता , राजेन्द्र पासवान के अलावा अयोध्या यादव , बालकृष्ण बरनवाल तथा बटिया पोस्ट के कई जवान मौजूद थे । ध्वजारोहण के उपरांत उपस्थित लोगों को प्रसाद रुपी चुडा ओर दही का भोजन कराया गया ।

तत्पश्चात मंदिर के प्रांगण में हरे राम संकृतन का आयोजन किया गया । इसी प्रकार प्रखंड क्षेत्रों के अन्य दर्जनों गांवों में स्थित बीर हनुमान जी का विधिवत पूजा अर्चना कर ध्वजारोहण किया गया है ।

इसके अलावा आमतौर पर हिंदू समुदाय के लोगों ने व्रत उपवास रखकर पुजा पाठ कर अपने अपने घरों में ध्वजारोहण कर धार्मिक अनुष्ठान करते हुए खुशियों के साथ भगवान श्रीराम का स्वागत किया ।

ज्ञात हो कि राम नवमी का त्योहार हरेक वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है एवं राम नवमी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्मोत्सव के रूप में मनाया गया है ।

बताते चलें कि प्रभु श्रीराम भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है । धरती पर असुरों को संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में अवतार लिए थे ।

भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है । क्योंकि प्रभु श्रीराम अपने जीवन काल में कई कष्ट सहते हुए भी मर्यादित जीवन का सबसे उत्तम उदाहरण प्रस्तुत किए थे ।

साथ ही प्रभु श्रीराम विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों को नहीं त्यागे थे और मर्यादा में रहते हुए जीवन व्यतीत किए थे । इसलिए उन्हें उत्तम पुरुष का स्थान दिया गया है ।

माता कैकेई द्वारा प्रभु श्रीराम के पिता महाराजा दशरथ से वरदान मांगे जाने पर श्रीराम ने राजपाट छोड़कर 14 वर्षों के लिए वनवास को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार किया ओर वनवास के दौरान ही कई असुरों सहित अहंकारी रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी ।

अयोध्या धाम छोड़ते समय भगवान श्रीराम के साथ माता जानकी ओर भाई लक्ष्मण भी 14 वर्षों के लिए वनवास पर गए थे । यही कारण है कि राम नवमी पर भगवान श्रीराम के साथ माता जानकी ओर भाई लक्ष्मण का भी पुजा किया जाता है ।

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