
हाथ चक्की चलाने की परंपरा को जीवित रखती महिला
जमुई / सोनो संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
सांस्कृतिक और समाजिक विरासत की महत्वपूर्ण परंपरा सोनो प्रखंड में आज भी जिवीत है । क्योंकि इस परंपरा को एक 55 वर्षिय महिला अपने दोनों हाथों से चक्की चलाकर ना सिर्फ अपने बाल बच्चों का भरण-पोषण कर रही है बल्कि चक्की चलाने के दौरान एक दुसरों के बीच मजबूत संबंध बरकरार रखने के लिए हंसी ठिठोली करते हुए गीत भी गाती हैं।
सोनो प्रखंड के तैरुखा गांव में एक ऐसी चक्की मौजूद हैं जहां पर प्रत्येक दिन एक क्विंटल से अधिक आटा और सत्तु की पिसाई की जाती है । इस कार्य में परिवार के सभी लोग लगे हुए हैं ।
जिसमें सबसे पहले अनाज को भट्ठियों में उबालकर फीर गर्म कढ़ाई में भुंजने के बाद जमीन पर लगा हाथ चक्की में लगे डंडे को घुमाकर पिसाई करते हैं , और सेंकड़ों रुपए कमाई कर अपने परिवार के जरुरतों को पूरा कर रही हैं ।
बताते चलें कि चक्की चलाकर आटा पिसने से ना सिर्फ महिलाओं को शारीरिक व्यायाम मिलता है बल्कि उनके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है ।
इसके अलावा चक्की चलाकर महिलाऐं आत्मनिर्भर बनने के साथ साथ आर्थिक रूप से मजबूत भी होती हैं । ज्ञात हो कि चक्की चलाना पारंपरिक कला है जो अपनी पिढ़ीयों को याद कराती है ।
क्योंकि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है । यह परंपरा धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है , इस परंपरा को जीवित रखने और संरक्षित करने के लिए बढ़ावा देने की आवश्यकता है ।




















