
गर्भ में ही बच्चियों का भ्रूण हत्या करना महापाप: श्री जीयर स्वामी जी महाराज
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
दावथ (रोहतास): परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने भ्रूण हत्या को महापाप बताया। स्वामी जी ने कहा की गर्भ में पल रहे बच्चियों का हत्या करने से कई दोष लगते हैं।
उन्होंने कहा कि आज सभी माताओं को भी इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। माताएं आज अपने गर्भ में पल रही बच्चियों की रक्षा नहीं करेगी तो यह समाज आगे कैसे बढ़ पाएगा। एक समय ऐसा आएगा जब लड़कों का विवाह नहीं होगा।
क्योंकि जनसंख्या लगातार लड़कियों की कम हो रही है। आज कई प्रदेशों में लड़कियों की संख्या कम हो गई है। जिसके कारण लड़कों का विवाह एक समस्या बन गया है। जो भी माताएं हैं उन्हें इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि लड़की अपने भाग्य से जन्म लेती है।
भगवान इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हर एक जीव के रहने खाने की व्यवस्था करते हैं। जो लड़कियां जन्म लेती है उनके विवाह शादी इत्यादि की व्यवस्था भी भगवान करते हैं। ऐसा कभी सुनने में नहीं आया है कि किसी भी माता-पिता को अपने लड़की की शादी करने से उन्हें किसी भी प्रकार की बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
क्योंकि लड़कियों का विवाह उनके अपने भाग्य से हो जाता है। इसलिए माता और पिता दोनों को लड़का और लड़की दोनों को सामान रूप में देखना चाहिए। लड़की लक्ष्मी की स्वरूप होती है। लड़की जगत की जननी होती है। जिससे इस जगत का विस्तार होता है। एक लड़की जब अपने माता-पिता के घर में होती है, तब उस लड़की का स्वरूप उस घर के लक्ष्मी के रूप में होता है।
वह लड़की सदैव अपने माता-पिता की सहयोग करती है। वही लड़की जब विवाह के बाद अपने ससुराल में जाती है। तब वहां अपने पति के घर की व्यवस्था संभालती है। अब स्वयं कल्पना कर सकते हैं कि जब आपके घर में आपके माता, पत्नी, बेटी, बहू नहीं हो तो घर आपका सब कुछ होने के बाद भी खाली ही दिखाई पड़ता है। इसलिए लड़कियों के महत्व को समझना जरूरी है।
आज समाज में एक नया तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। जिससे गर्भ में पल रहे बच्चों का परीक्षण किया जा रहा है। यह भी एक बहुत बड़ा पाप है। क्योंकि जब गर्भ में जीव रहता है तो वह ईश्वर के स्वरूप में होता है। उसकी रक्षा भगवान करते हैं और उस गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ छेड़छाड़ करना महापाप बताया गया है।
तीसरा पाप कुल खानदान में किसी गर्भ में पल रहे जीव की हत्या करने का पाप लगता है। जिससे सात दोष लगता है। जो स्त्री गर्भ में गर्भपात करवाती है उसको अगले जन्म में बंध्या होना पड़ता है। जिससे अगले जन्म में भी कोई बाल बच्चा नहीं होता है।
कहां-कहां झूठ बोलने से पाप नहीं लगता है
लड़का और लड़कियों के विवाह में यदि थोड़ा बहुत आगे पीछे भी बातों को कहा जाता है तो उसका दोष कम लगता है। दूसरा यदि किसी का प्राण संकट में हो वहां पर भी यदि प्राण बचाने के लिए थोड़ा सा आगे पीछे बातों को कहते है तो वहां पर भी दोष कम लगता है।
तीसरा जीविकोपार्जन में यदि थोड़ा बहुत झूठ भी बोला जाता है तो उसका भी दोष नहीं लगता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप जीविकोपार्जन में पूरा का पूरा झूठ ही बोले। स्वामी जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि आप कोई व्यापार करते हैं।
उसमें यदि किसी सामान को आप ₹100 में खरीदे हैं और उस समान को यदि आप ₹20 ज्यादा रखकर बेचते हैं तो इसमें दोष कम लगता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप दूध बेच रहे हैं और उसमें पूरा पानी ही मिला दें।
ऐसा करेंगे तो फिर गलत हो जाएगा। जीविकोपार्जन में थोड़ा बहुत जीविका चलाने के लिए आप उससे लाभ कमाते हैं तो उस पर दोष नहीं लगता है
चौथा राष्ट्र की रक्षा करने में ही यदि थोड़ा सा आगे पीछे ऊपर नीचे करना हो तो वहां पर भी दोष कम लगता है ।




















