
बच्चे बच्चियों का नामकरण संस्कार ग्यारहवें दिन होना चाहिए: श्री जीयर स्वामी
मानव जीवन में कुंडली का विशेष महत्व है
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
दावथ( रोहतास ): प्रखंड क्षेत्र के परमानपुर मे चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने नामकरण संस्कार पर विशेष प्रकाश डाला। बच्चे और बच्चियों का जन्म से 11वें दिन, 12वें दिन नामकरण संस्कार कर देना चाहिए।
शास्त्र के अनुसार नामकरण का भी विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में बच्चे और बच्चियों के जन्म के बाद नाम रखने का अधिकार विशेष रूप से पिता को बताया गया है। पिता ही नाम रखने का सबसे प्रथम अधिकारी है।
वैसे लोग गुरु पुरोहित से भी नाम रखवाते हैं। लेकिन शास्त्र के अनुसार अपने बच्चे और बच्चियों का नाम रखने का अधिकार पिता को ही दिया गया है। यदि पिता न हो तो चाचा, बाबा, मामा, नाना, गुरु, पुरोहित से नामकरण करवाना चाहिए।नाम का भी विशेष महत्व बतलाया गया है।
किसी भी बच्चे या बच्ची का नाम भी सुंदर होना चाहिए। नाम ऐसा होना चाहिए जिसके स्मरण करने से अच्छे विचार, आचरण, व्यवहार का बोध होता हो, जिससे साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हो, वैसे नाम शास्त्र के अनुसार रखना चाहिए।अजामिल जो जीवन भर पाप में लगा था।
लेकिन उसने अपने पुत्र का नाम नारायण रख दिया। जब अजामिल अपने प्राण को त्याग कर रहा था, उस समय अपने पुत्र के नाम का उच्चारण किया। भले ही अजामिल ने अपने पुत्र का नाम लिया, लेकिन नारायण जो पूरे सृष्टि के सूत्रधार हैं, संचालन करने वाले हैं, उनका भी स्मरण कर लिया।
भगवान श्रीमन नारायण ने कहा कि मरते समय भी मेरे नाम को स्मरण किया है। जिसके कारण आजामिल का भी उद्धार हो गया। इसीलिए अपने पुत्र और पुत्री का नाम भगवान से संबंधित होना चाहिए।




















