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वैशाली जिलाधिकारी ने डेढ़ साल की बच्ची को दत्तक ग्रहण पूर्व पातक देखरेख के लिए किया सुपुर्द

वैशाली जिलाधिकारी ने डेढ़ साल की बच्ची को दत्तक ग्रहण पूर्व पातक देखरेख के लिए किया सुपुर्द

वैशाली संवाददाता प्रभंजन कुमार की रिपोर्ट 

हाजीपुर जिला पदाधिकारी श्रीमती वर्षा सिंह ने विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान हाजीपुर में आवासित डेढ़ साल की बच्ची को हैदराबाद के दंपति को दत्तक ग्रहण पूर्व पातक देखरेख के लिए सुपुर्द किया। पह बातिका लगभग चार महीने पूर्व औद्योगिक धाना क्षेत्र में परित्यक्त अवस्था में पायी गयी थी।

उसे चाइल्ड हेल्पलाइन के द्वारा बाल कल्याण समिति वैशाली के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। समिति के आदेश से उसे विशिष्ट दसक ग्रहण संस्थान में आवासित कर जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा उसके माता-पिता की खोज हेतु दैनिक समाचार पत्र में विज्ञापन का प्रकाशन कराया गया था। विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में यह बालिका सबके आंखों का तारा बनी हुई थी।

६० दिनों तक कोई दावेदार के नहीं आने पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा अधिसूचित दत्तक ग्रहण विनियमन 2022 के प्रावधानों के आलोक में बालिका को दत्तक ग्रहण में दिया जा रहा है। बालिका के भावी माता-पिता दंपति ने 2021 में विहित पोर्टल carings wed.gov.in पर अपना पंजीकरण कराया था।

4 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद जब उन्हें बालिका का रेफरल प्राप्त हुआ तो उनके खुशी का ठिकाना न रखा। उसके बाढ़ से वे लोग यथाशीघ्र बालिका को ले जाने के लिए उत्सुक बने रहे। आज बालिका के प्राप्त होने पर उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए।

सहायक निदेशक ने बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी दसक ग्रहण नियमावली 2022 के प्रावधानों के आलोक में विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान की समन्वयक रूपा कुमारी ने हैदराबाद से आए भावी दसक माता-पिता के सभी दस्तावेजों की जांच मूल प्रति से करने के उपरांत उन्हें दत्तक ग्रहण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया, जिसमें समिति ने दंपति को उक्त बालिका के दत्तक ग्रहण हेतु उपयुक्त पाया।

इसके पश्चात सहायक निदेशक ने जिलाधिकारी महोदय से उक्त बालिका के दत्तक ग्रहाण हेतु अग्रेतर कार्रवाई के रूप में प्री एहॉफान फोस्टर केयर के लिए अनुरोध किया, जिसके आलोक में जिलाधिकारी महोदय ने बालिका को भावी दत्तक माता-पिता के सुपुर्द किया। अब जिला पदाधिकारी के न्पापालप से दत्तक ग्रहण आदेश प्राप्त कर बालिका के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।

बाल संरक्षण पदाधिकारी ने बताया कि पूर्व में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया फैमिली कोर्ट से पूर्ण होती थी। प्रक्रिया को सुगम बनाते हुए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 (यथा संशोधित 2021) के द्वारा जिलाधिकारी को दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने हेतु प्राधिकृत किया गया जिसके पश्चात मामतों के निष्पादन में तेजी आई है।

वर्तमान परिपेक्ष में बालकों की बजाय बातिकाओं को गोद लेने की चाह बढ़ रही है। स्थिति यह है कि दंपती बेटी को गोद लेने के लिए तीन से चार साल का इंतजार कर रहे हैं। जिले में 2018-19 से अभी तक कुल 41 बच्चे गोद दिए गए हैं जबकि जून 2023 के बाद से पह दत्तक ग्रहण का 15वां मामला है।

इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने कहा कि जैसे बच्चे जिनके सिर से माता-पिता का छाया हट गया है, उनके जीवन में खुशी और माता-पिता का प्यार लौटाने के लिए जिला प्रशासन तत्पर है। जो दंपति अनाथ बच्चों को गोद लेना चाहते हैं, वे विधिक रूप से दत्तक ग्रहण हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई अधवा विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में संपर्क करें।

उन्हें जिता प्रशासन हर संभव सहयोग प्रदान करेगा। बच्चा हमेशा कानूनी रूप से ही दत्तक ग्रहण में लिया जाना चाहिए। इसके लिए जिले में अवस्थित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान के माध्यम से ही बब्या गोद लिया जाए। किसी अन्य माध्यम से किया गया दत्तक ग्रहण गैर कानूनी एवं दंडनीय अपराध है।

इस अवसर पर श्री विनोद कुमार ठाकुर, सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई, बाल संरक्षण पदाधिकारी, विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान की समन्वयक रूपा कुमारी सहित अन्य कर्मी उपस्थित रहे।

वैधानिक चेतावनीः बच्चा हमेशा कानूनी प्रक्रिया द्वारा ही गोद लें।

सार्वजनिक जगहों पधा अस्पताल बस स्टेंड रेलवे स्टेषन आदि जगहों पर से सींचे गोद न लें। यह विधि विरुद्ध एवं दण्डनीय अपराध है।

1. किशोर न्याय (बालकों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2021 की धारा 56 से 65 के अधीन एवं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अधिसूचित दत्तक ग्रहण विनियमन 2022 के प्रावधानों एवं प्रक्रिया को अपनाए बिना किसी भी अनाप अथवा परित्यक्त बच्चे को किसी भी व्यक्ति द्वारा गोद लेना देना अवैध एवं दंडनीय अपराध है।

जिसके लिए तीन साल तक का कारावास था। ताख रूपये का जुर्माना अथवा दोनों हो सकता है। साथ ही किसी भी बच्चे को खरीदना बेचना एक दंडनीय अपराध है जिसके लिए 5 साल तक का सश्रम कारावास एवं 1 लाख रूपये के दंड का प्रावधान है।

2. किसी भी अनाथ, परित्यक्त अथवा खोए हुए बच्चों के प्राप्त होने पा सूचना मिलने पर संबंधित जानकारी बाइलक हेल्प लाइन सेवा (इमरजेंसी हेल्प लाइन नं०-1098), 112 (आपातकालीन सहायता नं०, नजदीकी पुलिस स्टेशन, बाल कल्याण समिति अध्वा जिला बाल संरक्षण इकाई की आवश्यक रूप से दें। ऐसा नहीं करना दंडनीय अपराध है जिसके लिए दस हजार रूपये का अर्थदंड या छः महीने तक की सजा अथवा दोनों हो सकता है।

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