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एकात्मता को राष्ट्र्वादी करें लागू, जातीय नहीं एकात्म व्यवस्था का हो विधान: वरिष्ठ मानव विज्ञानी 

एकात्मता को राष्ट्र्वादी करें लागू, जातीय नहीं एकात्म व्यवस्था का हो विधान: वरिष्ठ मानव विज्ञानी

रोहतास संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

बिक्रमगंज( रोहतास): देश के एक वरिष्ठ मानव विज्ञानी Senior Anthropologist डॉ विजय प्रकाश शर्मा ने देश की जातीय व्यवस्था को अब समान करने की मांग केंद्र सरकार से छेड़ी है।

अपने इस मांग अभियान को वर्ष 2024 से ही उन्होंने देश के प्रधानमंत्री से आवेदन देकर आरम्भ कर रखा है और इस मांग पर वे लगातार पीएमओ को स्मार पत्र भी भेजते रहते हैं।

इसी क्रम में आज उन्होंने पीएमओ को अपना रिमाइंडर मेल भेजा है और एकात्म मानववाद की राष्ट्रीय अवधारणा को साकार करने की मांग की है और जवाबदेहों को उनकी जवाबदेही को याद दिलाने के लिए रामचरितमानस के एकात्म दर्शन .. सियाराममय सबजग जानि,करउँ प्रणाम जोरि जुगपानी वाली चौपाई का अगले एक हफ्ते तक दैनिक पाठ का संकल्प लिया है। इस चौपाई के माध्यम से उन्होंने जातीय जनगणना कराने वालों की सोच को सद्बुद्धि मिले की मांग भगवान से की है।

  ह्यूमन ट्रैफिकिंग एंड फीमेल माइग्रेशन जैसी कई मानवशास्त्र की पुस्तकों के लेखक डॉ विजय प्रकाश शर्मा कहते हैं कि जन-एकात्म का विधान लागू नहीं होने से देश में जातीय अराजकता लगातार फ़ैलती और फलती फूलती आई है। उन्होंने जातीय व्यवस्था को अंग्रेजों द्वारा शुरु किये जाने और कांग्रेसियों द्वारा इसे आजाद भारत में स्थापित किये जाने की सच्चाई बताई।

  डॉ शर्मा के अनुसार समग्र भारतीय जनसंख्या को समान्य, अनुसुचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे 4 भागों में बांटकर रखे जाने से एक बड़ा विभाजनकारी यंत्र व्यवस्था ने स्वयं ही बना रखा है जिसकी वजह से देश जातीय उन्माद के फेरे में हमेशा पड़ा रहता है।

 प्रधानमंत्री को एकात्म धारणा लागू करने की मांग का साहस करते हुए मानवविज्ञानी डॉ शर्मा ने अपने मांगपत्र में यह लिखा है कि भारतीय जनसंख्या के विभाजित चारों भागों को “भारतीय नागरिक” की संज्ञा दे दी जाय और इसे क्रियान्वित करने की संवैधानिक पहल की जाय। उन्होंने अमेरिका के लोगों को अमेरिकी की मात्र नागरिक संज्ञा के उद्धरण को सामने रखा है।

   डॉ शर्मा यह कहते हैं कि यह घोर अचरज का विषय है कि केंद्र में भारी बहुमत से सत्तारुढ़ होने के बावजूद राष्ट्रवादी चिन्तक एकात्म मानववाद के सिद्धांत को लागू कराना भूल गए और बिहार की जातीय जनगणना का राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन करने लगे।

  आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव और यहां जातीय जनगणना कराने से प्रभावित समाज की दशा को देखते हुए भारी चिंता जाहिर की है और कहा है कि चारों जातीय आधारों समापन केंद्र की राष्ट्रवादी सरकार को करने और देश को मजबूत करने का समय हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।

 उन्होंने इस मांग को आसन्न बिहार विधानसभा की स्वस्थ सामाजिकी और जातीय जड़ताविहीन मतदान के लिए एक आदर्श स्थिति करार दिया है।

डॉ शर्मा के अनुसार सिर्फ एकात्मता के नाम पर लखनऊ से गया के लिए एकात्मता एक्सप्रेस चला देनेभर से देश या बिहार में एकात्मता नहीं चल सकती बल्कि इसके लिए एक बड़ा प्रयास किया जाना चाहिए।

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