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बिहारराज्यरोहतास

आस्था और विश्वास का केंद्र है मां यक्षिणी का पावन धाम

रोहतास संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

बिक्रमगंज (रोहतास) विक्रमगंज अनुमंडल से 12 किलोमीटर एवं दिनारा प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर पूरब भलुनी स्थित यक्षिणी भवानी धाम अति प्राचीन व प्रसिद्ध शक्तिपीठ हैं।

मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। श्रीमद देवी भागवत, मार्कण्डेय पुराण के अलावे वाल्मीकि रामायण में भी यक्षिणी भवानी का वर्णन मिलता है।

मान्यता के अनुसार देवासुर संग्राम के बाद अहंकार से भरे इंद्र को यक्षिणी देवी ने यहीं सत्य का पाठ पढ़ाया था। इंद्र ने देवी दर्शन के पश्चात उनकी स्थापना की थी।

कहा गया है कि हंस पृष्ठे सुरज्जेष्ठा सर्पराज्ञाहिवाहना, इन्द्रस्यच तपो भूमिरू शक्तिपीठ कंचन तीरे। यक्षिणी नाम विख्याता त्रिशक्तिश्च समन्विता।

मां दुर्गा का ही एक नाम है यक्षिणी

पुराणों व अन्य धर्म ग्रंथों के अनुसार देवी अति प्राचीन हैं। यक्षिणी मां दुर्गा का ही एक नाम है। मंदिर में देवी की प्रतिमा के अलावे भगवान शंकर व कुबेर की प्राचीन प्रतिमा भी स्थापित है, जो पूर्व मध्यकालीन है। मंदिर का पुनर्निर्माण आधुनिक काल में हुआ है।

हालांकि देवी की प्रतिमा सहित मंदिर में स्थापित अन्य प्रतिमाएं पूर्वमध्यकालीन हैं। मंदिर के बाहर एक अति प्राचीन व विशाल तालाब है। आसपास में वन के अवशेष आज भी विद्यमान हैं।

जिसमें काफी संख्या में बंदर रहते हैं। सरकार ने मैदानी इलाके के इस वन क्षेत्र के लिए को बचाने के लिए इसे वन्य आश्रयणी घोषित किया है।

विकास को तत्पर मंदिर कमेटी :

भलुनी धाम के विकास का कार्य भोजपुरी साहित्य समिति द्वारा किया जा रहा है। मंदिर परिसर में जन सहयोग से धर्मशाला का निर्माण, पुजारी निवास, सहित कई अन्य छोटे मंदिरों का निर्माण भी कराया जा चुका है।

भलुनी धाम विकास के लिए समिति द्वारा जैविक उद्यान बनाने के लिए दिया गया प्रपोजल काफी समय से वित्त विभाग के पास लंबित है।

मंदिर परिसर की देख भाल भलुनी, खरिका व बडीहां के पंडा द्वारा किया जाता है।

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