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बिहारराज्यरोहतास

तपस्वी संन्यासी ने विधि विधान के साथ धारण किया त्रिदंड, भव्य भंडारा का हुआ आयोजन

त्रिदंड को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, लक्ष्मी नरायण जीयर स्वामी जी महाराज

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

दावथ (रोहतास):  दावथ प्रखंड के बिठवा ग्राम स्थित श्री सर्वेश्वर धाम शिव मंदिर के प्रांगण में तपस्वी संन्यासी लक्ष्मी प्रपन्ना जीयर स्वामी जी के शिष्य लक्ष्मी नारायण जी महाराज ने विधि विधान के साथ त्रिदंड धारण किया । कुछ दिन पूर्व तपस्वी संन्यासी लक्ष्मी नारायण जी का सर्वेश्वर शिव धाम में आगमन हुआ।

पूर्व मुखिया चंद्रमा सिंह के नेतृत्व में ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया और सर्वेश्वर धाम में उनके निवास के लिए निवेदन किया तब से तपस्वी संन्यासी लक्ष्मी नारायण जी महाराज यहां निवास कर रहे हैं।स्वामी जी योग गुरु के रूप में भी लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। और नशा मुक्ति के लिए संकल्प करा रहे हैं।

सर्वेश्वरी धाम में भगवान शिव का भव्य श्रृंगार करने के उपरांत नियमित आरती होता आता है जिसमें स्वामी जी भाग लेते हैं। और ग्रामीण पुरुष महिलाए बच्चों की भारी संख्या में भीड़ रहती है।

त्रिदंड धारण करने की इच्छा जताया, आचार्य राम जी तिवारी एवं आचार्य बृज किशोर पाण्डेय के नेतृत्व में संन्यासी तपस्वी लक्ष्मी नारायण जी महाराज के निर्देशाअनुसार बक्सर में त्रिपिंडी करने के उपरांत गुरुवार को बिठवा सर्वेश्वर धाम प्रांगण में विधि विधान के साथ हवन पूजन के उपरांत तपस्वी संन्यासी लक्ष्मी नारायण जी महाराज ने त्रिदंड धारण किया। इस अवसर पर भव्य भंडारा का आयोजन किया गया।

जिसमें आसपास गांव और स्थानीय भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया और स्वामी जी की जय जयकार लगाया, साथ ही स्वामी लक्ष्मी नारायण जी ने बताया कि त्रीदंड धारण करने का मतलब होता है भगवान नारायण को अपना पति के रूप में स्वीकार करना ।

अब हम इससे पूर्व जिस प्रकार की जीवन यापन कर रहे थे अब इसमें बहुत सारा बदलाव देखने को मिलेगा । आज से अब जीवन भर फलाहार करूंगा अन्न का पूरे जीवन के लिए त्याग कर दूंगा।

चौकी , पलंग, पर हमारा शैया नहीं होगा भूमि पर ही हम विश्राम करेंगे अग्नि , नारी, धन राशि को स्पर्श नहीं करेंगे किसी के घर में त्रिदंड लेने के बाद प्रवेश वर्जित हो जाता है ।ज्यादातर समय भगवान नारायण की साधना में रहेगे ।

आचार्य राम जी तिवारी एवं बृजकिशोर पाण्डेय ने संयुक्त रूप से बताया कि इस भूमि का भाग्य है यहां पर कोई सन्यासी त्रीदंड धारण किया।

आसपास के सभी भूमि जहां तक जयकार की आवाज सुनाई दिया सभी भूमि पवित्र एवं धन धान्य होगा और सभी को पाप से मोक्ष मिल गया।उन्होंने आगे बताया कि त्रीदंड धारण करने के बाद महाराज जी का पूरा नाम लक्ष्मी नारायण जियर स्वामी होगा ।

संन्यास ग्रहण करने के बाद सन्यासी मात्र तीन लोगों के सामने नतमस्तक होता है पहले मां दूसरा गुरु और नारायण के अलावे किसी के सामने नतमस्तक नहीं होता है।

मौके पर पूर्व मुखिया चंद्रमा सिंह वर्तमान मुखिया संतोष यादव सरपंच विजय यादव,संतोष शर्मा धनजी यादव, प्रकाश कुमार, सत्येंद्र कुमार, सत्येंद्र सिंह मंत्री ,अंगद सिंह, शिवजी तिवारी, गुड्डू तिवारी, मंटू सेठ ,मुकेश कुमार सिंह , भोलानाथ मिश्रा राजू पाठक,पीके मिश्रा, चारों धाम मिश्रा उपस्थित थे।

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