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बिहारराज्यरोहतास

जिस ग्रंथ से महानता का बोध हो वह है महाभारत: – जीयर स्वामी जी

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

‌काराकाट /दावथ (रोहतास)।जीव ईश्वर का अंश है, आत्मा परमात्मा की दास है आदि वाक्यों को रखते हुए अपने प्रवचन के दौरान मंगलवार को दुसरे दिन काराकाट के बाद गांव में श्री जीयर स्वामी ने कहा कि संसार के सभी जीव ईश्वर का अंश है।

इसलिए ईश्वर अंशी है और जीव उनका अंश है। जिसका वोध कराने की उद्देश्य से वेदव्यास जी ने वेद की रचना किया।

संसार में सनातन को एक मात्र धर्म बताते हुए बाकी सभी को मतपंथ बताते हुए इस्लाम, क्रिश्चियन,जैन एवं बौद्ध सहित अन्य पंथों का विस्तार से वर्णन करते हुए उनके संस्थापकों पर प्रकाश डाला।

मोक्ष एवं वैराग्य पर चर्चा करते हुए स्वामी जी ने निवेदन किया कि वैराग्य की उत्पत्ति घटीत घटनाओं से उत्पन्न होती है।

दुराचारियों के साथ कभी-कभी ऐसी घटनाएं घट जाती है जिसके कारण वह वैरागी हो जाता है। इसके लिए कई धर्म धारकों को स्मरण कराया। अर्थात घटनाओं से प्रेरणा और हृदय परिवर्तन का निवेदन किया।

महाभारत पर संक्षिप्त वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जिस ग्रंथ से महानता का बोध हो वह महाभारत है। महर्षि वेदव्यास जी ने मानव जीवन को सुलभ बनाने के लिए इन ग्रंथों की रचना की गई।

गृहस्थ आश्रम में अर्थोपार्जन के लिए सतमार्ग को चुनने एवं अनीति से बचने का उपदेश दिया।जीयर स्वामी से पूर्व चतुर्भुज जी महाराज, वैकुंठ नाथ जी महाराज एवं मुक्तीनाथ जी महाराज के श्रीमुख से भक्तजनों ने कथा श्रवण किया।

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