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जब से सृष्टि है तब से शास्त्र अस्तित्व में है: – जीयर स्वामी जी

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

काराकाट/दावथ (रोहतास)। चारों धाम मिश्रा,नगर पंचायत काराकाट (गोड़ारी) के बाद गांव में आयोजित 25 कुंडीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के तीसरे दिन बुधवार को जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन के दौरान शास्त्र एवं उपनिषदों की चर्चा करते हुए बताया कि जब से सृष्टि है तब से शास्त्र अस्तित्व में हैं।

इसके लिए दुध में मौजूद घी की चर्चा करते हुए कहा कि दूध से घी निकालने की कला विकसित होनी चाहिए। अन्यथा घी प्राप्त नहीं कर सकते।उसी तरह सृष्टि के साथ शास्त्र का अस्तित्व है और उसे जाने की कला जिसने विकसित किया उसने उसे समझा।

संत,गुरूजन एवं मित्रों से अपनी त्रुटि को नहीं छुपाने का निवेदन करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करने से व्यक्ति की पीड़ा हरण होता है और वह दुखों से उबर जाता है।

कर्म के आधार पर फल प्राप्ति की बात करते हुए स्वामी जी ने भगवान श्रीकृष्ण और नारद प्रसंग को रखते हुए कंश बध की चर्चा पर भगवान से प्राप्त उत्तर को बताते हुए कर्म से फल की प्राप्ति को उदाहरण के रूप में रखा।

शादी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शादियां सौदा का रूप ले लिया है। जिससे मानवता और संस्कार का ह्रास होने लगा है।

गरिमा में रहते हुए शादी सम्पन्न करने एवं संस्कृति के साथ जीवनयापन का मंत्र देते हुए इससे बचने का निवेदन किया। इसके साथ ही स्वयं में विराजमान दुर्गुणों को तीर्थाटन के दौरान एक- एक कर त्यागने का भी निवेदन किया।

इनसे पूर्व जगत गुरु अयोध्या नाथ स्वामी जी महाराज सहित कई अन्य संतजनो द्वारा कथा वाचन किया गया।

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