रोहतास संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
नोखा (रोहतास)नोखा प्रखंड के गोसाईंपुर में चल रही श्रीमछ्वागवत कथा में किशोरी संयोगिता जी ने भगवान श्रीकृष्ण की लीला एवं छप्पन भोग के प्रसंगों को कथा के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रत्येक रूप मनोहारी है।
उनका बालस्वरूप तो इतना मनमोहक है कि वह बचपन का एक आदर्श बन गया है।
इसीलिए जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण के इसी रूप की पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें वे चुराकर माखन खाते हैं, गोपियों की मटकी तोड़ते हैं और खेल-खेल में असुरों का सफाया भी कर देते हैं।
इसी प्रकार उनकी रासलीला, गोपियों के प्रति प्रेम वाला स्वरूप भी मनमोहक है। अपनी लीलाओं में वे माखनचोर हैं, अर्जुन के भ्रांति-विदारक हैं।
गरीब सुदामा के परम मित्र हैं, द्रौपदी के रक्षक हैं, राधाजी के प्राणप्रिय हैं, इंद्र का मान भंग करने वाले गोवर्धनधारी है। उनके सभी रूप और उनके सभी कार्य उनकी लीलाएं हैं।
उनकी लीलाएं इतनी बहुआयामी हैं कि उन्हें सनातन ग्रंथों में लीला पुरुषोत्तम कहा गया है। कृष्ण लीला के साथ ही गोवर्धन लीला और छप्पन भोग का भव्य आयोजन भी कथा में हुआ।
जिसमें गिरिराज महाराज का पूजन कराया छप्पन भोग लगाया, गोवर्धन नाथ की सुंदर झांकी का दर्शन कराया। श्रीकृष्ण ने गौवर्धन की पूजा करके इंद्र का मान मर्दन किया।
श्रीमछ्वागवत कथा साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन है। यह कथा भवसागर से पार लगाती हैं। परमात्मा को केवल भक्ति और श्रद्धा से पाया जा सकता है।मौके पर भोजपुरी गायक लाल बाबू व्यास उपस्थित थे।