ईद उल अजहा का पर्व सोनो मे हर्षोल्लास पूर्वक संपन्न

सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
बकरीद के नाम से जाना जाने वाला इद उल अजहा का त्योहार सोनो प्रखंड छेत्रों में सोमवार को शांति पुर्वक संपन्न हो गया है ।
हजरत इब्राहीम की अल्लाह के प्रति असीम श्रद्धा और उनके द्वारा किये गए बलिदान की याद में मनाया जाने वाला इस महापर्व पर सोनो प्रखंड छेत्र के पेरा मटिहाना , खपरिया , बाजराडीह , भरतपुर , ढोंढरी , तिलवरिया , कोड़ाडीह , गोरबा मटिहाना , रकतरोहनियां , कुसैया , गंदर ,
बंदरमारा , सोनो , मोहनाडीह , करहरीटांड़ , रजौन , दुधनियां , भलसुंभिया , बाबुडीह आदि गांवों में सोमवार की अहले सुबह बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने अपने ईदगाहों ओर मस्जिदों में जाकर एक साथ नमाज अदा करते हुए देश वासियों के लिए दुआ मांगी ।
तत्पश्चात एक दुसरे के संग गले मिलकर ईद पर्व का मुबारक बाद दिया । इसके बाद बड़े बड़े बकरों की कुर्बानी दी गई ।
बताया जाता है कि बकरीद का त्योहार हजरत इब्राहीम की उस घटना पर आधारित है जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने पुत्र हजरत इस्माइल को बलिदान करने के लिए तैयार हो गए थे । अल्लाह ने उनकी परिक्षा लेने के लिए यह आदेश दिया था।
लेकिन जब इब्राहीम अपने पुत्र को बलिदान करने लगे तभी अल्लाह ने उनकी निष्ठा को देखकर हजरत इस्माइल की जगह एक भेड़ को भेज दिया था ।
इस प्रकार हजरत इब्राहीम की बलिदान पुर्ण हो गया था । तभी से आज का दिन बलिदान का प्रतिक के रुप में मनाया जाने लगा है ।
आगे बताया गया है कि कुर्बानी की त्योहार का महत्व सिर्फ बलिदान तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह त्योहार सिखाता है कि अपने सबसे प्रिय वस्तुओं को अल्लाह के नाम करने के लिए तैयार रहना चाहिए ।
कुर्बानी का त्योहार परस्पर आपस में प्रेम , सद्भावना ओर सहायता का पाठ पढ़ाता है , जिस कारण लोग अपने अपने घरों में दिये गये बकरे की मांस को तीन हिस्सों में बांटकर खुशियां मनाते हैं ।
जिसमें एक हिस्सा गरीबों के लिए एवं दुसरी जरुरत मंदों ओर कुटुंब जनों के लिए तथा तिसरी हिस्से को अपने परिवार के लिए रखा गया है ।
जिस कारण यह बकरीद का त्योहार धार्मिक दृष्टिकोण से समाजिक समानता और भाईचारे का संदेश देते हुए इंसानियत की मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है । लिहाजा बकरीद का पर्व वास्तव में एक ऐसा पर्व है जो लोगों को आपस मे जोड़े रखता है ।