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जंगलों से हो रही बड़ी संख्या में हरी लकड़ियों की कटाई से पर्यावरण पर खतरा

सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट 

 एक तरफ जहां वन विभाग के द्वारा जंगली लकड़ियों को कटाई से रोकने के लिए क्ई तरह के कदम उठाए गए हैं , वहीं दूसरी तरफ सोनो प्रखंड छेत्र अंतर्गत पड़ने वाले जंगलों से बड़ी संख्या में हरी लकड़ियों की कटाई लगातार जारी है ।

चाहे जलावन की लकड़ियां हो चाहे खाट और पलंग आदि तैयार करने की , सभी के लिए जंगलों से प्रत्येक दिन बड़ी संख्या में हरी लकड़ियों की कटाई लगातार जारी है , जिससे पर्यावरण पर भारी खतरा मंडराने लगा है ।

गुप्त सुत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सोनो प्रखंड छेत्र में क्ई बड़े बड़े आरा मील अवैध तरीके से संचालित किया जा रहा है । जिसमें वन विभाग ओर प्रशासन की संलिप्तता बताई जा रही है ।

इन सभी आरा मीलों पर जंगलों से मोटी मोटी हरी लकड़ियों को काटकर मंगाया जाता है , जिसमें स्थानीय ग्रामीणों की सहयोगिता भरपूर प्रदान किया जाता है।

जंगल के आस पास बसने वाले लोग इस कार्य को अंजाम देने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं । बताया जाता है कि जंगली क्षेत्रों में बसने वाले आम लोग मोटी मोटी ओर किमती लकड़ियां काटकर आरा मीलों तक पहुंचाते हैं।

जहां पर उन लकड़ियों से तैयार किये गए विभिन्न प्रकार के सामानों की मोटी किमत लेकर दुर दुर तक सप्लाई किया जाता है ।

वहीं अवैध तरीके से चलाये जा रहे इन अवैध आरा मीलों पर वन विभाग की नजर तो जाती है लेकिन विभाग मौन रहकर उसे बढ़ावा देने में लगे हुए हैं । इससे साफ जाहिर होता है कि वन विभाग की संलिप्तता आरा मीलों के साथ है ।

इधर जलावन के लिए प्रत्येक दिन सेंकड़ों बंडल लकड़ियां ग्रामीणों द्वारा काटकर अपने माथे पर लिए बिक्री के लिए तीन से पांच किलोमीटर दूर तक पैदल चले जाते हैं ।

इस प्रकार काटी जा रही जंगली लकड़ियों से ना सिर्फ पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है बल्कि विभाग को भी लाखों रुपए का नुक़सान हो रहा है ।

ज्ञात हो कि अवैध तरीके से काटी गई लकड़ियों के कारण विराण पड़ने लगे इन जंगलों में रहने वाले जंगली जानवरों में सुअर , नीलगाय , चीतल , गिदड़ , बंदर ओर भालुओं के साथ साथ पशु पक्षियों पर भी खास असर पड़ने लगा है ।

वहीं प्रदुषित हो रहे पर्यावरण के कारण लोग शुद्ध हवा के स्थान पर पंखे ओर कुलर का सहारा लेना प्रारंभ करने लगे हैं ।

जिससे क्ई प्रकार के रोग फैलने की संभावना बनी हुई है । साथ ही मेहनत मजदूरी करने वाले लोगो में घटते पर्यावरण के कारण अब सिथिलता देखी जा रही है ।

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