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जमुई आने वाले दिनों में घोर जल संकट से घिरने वाला है: कुणाल सिंह, नदी बचाओ आंदोलन के नेता

जमुई जिले में ध्वस्त हुई परंपरागत सिंचाई व्यवस्था मृत पड़ी है कई सिंचाई पैन

जमुई जिला ब्यूरो बिरेंद्र कुमार की रिपोर्ट 

जमुई जिले के लाखों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने वाले कई सिंचाई पैन आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है ।

एक समय हुआ करता था जब यह सभी सिंचाई पैन किसानों के सिंचाई का मुख्य साधन हुआ करती थी सिंचाई पैन से किसानों द्वारा सिंचाई करने से जहां खेतों के प्यास बुझती थी।

वहीं इस परंपरागत सिंचाई व्यवस्था से जल स्रोतों का भी प्यास बुझाता था जिससे भूमिगत जल स्तर बनी रहती थी।

परंतु आज वहीं सिंचाई पैन मृत्यु की गोद में सुला दी गई है। एक समय था जब किसानों की टोली इन सिंचाई पैन की खुद से मरम्मती किया करते थे।

इन कार्यों के कारण सामाजिक समरसता बनी रहती थी सभी जाति और समाज के लोगों की भागीदारी से इन सिंचाई पैन को संचालित किया जाता था।

जिससे समाज के बीच एक संबंध का संचार होता था लोगों के द्वारा इसे एक उत्सव के रूप में लिया जाता था जनप्रतिनिधियों के द्वारा इनमें श्रमदान किया जाता था ।

परंतु आज के विकास के दौर में जमुई के बरनार नदी तथा और कई नदियों से जुड़ने वाली सिंचाई पैन की स्थिति यह है कि कुछ दिनों के बाद यह सिंचाई पैन सिर्फ सर्वे नक्शे पर नजर आएगी। आज इन सिंचाई पैन से आप लोगों को कुछ सिंचाई पैन से अवगत कराने जा रहा हूं।

जिसमें लगभग सिंचाई पैन समाप्ति के कगार पर है परंतु इसमें सरकार के द्वारा प्रतिवर्ष खुदाई तथा जीर्णोद्धार के नाम पर करोड़ों खर्च किए जाते हैं आज जो सिंचाई पैन अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।

इसमें से आप बरनार नदी पर स्थित सोनो प्रखंड के सिंचाई पैन है बलथर बड़की सिंचाई पैन जिस पर सरकार के द्वारा कुछ वर्ष पूर्व करोड़ों खर्च कर पक्की कारण किया गया था।

इस सिंचाई पैन से सोनो ,मांधाता, मजरो, बलथर राजस्व ग्राम की सिंचाई होती थी। बलथर छोटकी पैन जिससे 250 एकड़ भूमि की पटवन होती थी।

केवाली सिंचाई पैन, जुगड़ी सिंचाई पैन ,चुरहैत सिंचाई पैन, मड़रो देवी पहाड़ी सिंचाई पैन,टीहया सिंचाई पैन ,केनदुआ सिंचाई पैन, खैरा प्रखंड अंतर्गत निजुआरा सिंचाई पैन, प्रधान चक सिंचाई पैन, झींगोय सिंचाई पैन, गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत मौरा पुवारी सिंचाई पैन, मौर पछियारी सिंचाई पैन, धोबघट बुढ़िया सिंचाई पैन, सिमरिया सिंचाई पैन ,कोलहुआ सिंचाई पैन, जो बरनार नदी से जुड़कर लाखों हेक्टेयर खेती को संचित करती थी।

वहीं ऊलाई तथा नागी नदी से जुड़कर नागी नदी से दादपुर तक सिंचाई करने वाले दादपुर सिंचाई पैन, जामु सिंचाई पैन ,गंगरा के खेतों तक पहुंचने वाली गंगरा बड़की सिंचाई पैन, ढोलबाज गंगरा सिंचाई पैन,कुमरडीह बुढ़िया सिंचाई पैन, बंधौरा सिंचाई पैन, कसरौकी सिंचाई पैन , यह सभी सिंचाई पैन सैकड़ो वर्षों से जमुई के लोगों का पालन पोषण करती रही।

परंतु आज विकास के दौर में किसान सिंचाई पैन की जगह इलेक्ट्रिक मोटर से भूमिगत जल स्तर की निकासी कर खेती कर रहे हैं।

जिससे दिन प्रतिदिन जलस्तर नीचे जा रही है जबकि सिंचाई पैन से भूमिगत जल स्तर बना रहता था। वही जमुई जिले में नदियों के लगातार दोहन और बालू उठाव के कारण नदियाँ गहरी हो गई है।

जिससे सिंचाई पैन का संचालित होना कठिन हो गया सरकार के द्वारा खर्च किए गए राशि के बंदर बांट का असर इन सिंचाई पैन पर गहरी रूप से पड़ी है। आज जिले के किसान तथा कई समाज सेवी इसकी आवाज उठा रहे हैं।

परंतु सरकार का ध्यान इस पर नहीं जा रहा है। किसान नेता कुणाल सिंह इस विषय पर लगातार आंदोलन रत हैं।

परंतु इसका असर सरकार पर नहीं पड़ रहा है। आज के दौर में सिंचाई पैन को बचाना पर्यावरण की दृष्टि से अति आवश्यक हो गया है।

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