रोहतास संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
बिक्रमगंज (रोहतास) श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है, जहां अन्य युगों में धर्म लाभ व मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, वहीं कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।
प्रखंड बिक्रमगंज के तुरती गांव में राम जानकी आश्रम में विनोद व्यास जी महाराज ने प्रवचन करते हुए यह बातें कही।
कहा कि सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
कथा की सार्थकता तभी होती है जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण करें। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन तक ही सीमित रह जाएगी। भागवत पुराण अट्ठारह पुराणों में से एक है।
इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है।
इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई। सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोह-माया के चक्कर में पड़ जाता है।
बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा।
आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। मौके पर हजारों लोग उपस्थित होकर भागवत कथा का रसपान किए।