
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
- नागरिकों को राह दिखाता संविधान
‘मैं भारत का संविधान हूं, तुमको राह दिखाता हूं। ‘पथ की सारी बारीकी को बारीकी से सिखलाता हूं।उलझे न भारत का कोई,सदा जतन यह करता हूं।
रातों के अंधकार में भी, मैं दीपक सदा जलाता हूं।मैं भारत का संविधान हूँ,तुमको राह दिखाता हूं।
एक कवि अमलेंदु शुक्ला की ओर से लिखी गई यह लाइनें शायद सभी के लिए 26 नवंबर के दिन के महत्व को दर्शाती हैं। संविधान हम सभी को देश में जीने की राह की राह दिखाता है।
हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसे संविधान दिवस के नाम से भी जाना जाता है।
साल 2015 में बाबा साहब अंबेडकर की 125 वीं जयंती थी, इस अवसर पर भारत सरकार ने राष्ट्रीय संविधान दिवस को बड़े पैमाने पर मनाने का फैसला लिया था।
इस दिन का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया था।
इसके बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
संविधान नियमों और कानूनों का एक समूह है जो किसी देश के संचालन और नियंत्रण को विनियमित करता है।
भारत सरकार के राजनीतिक सिद्धांत, अभ्यास और शक्तियां संविधान पर आधारित हैं। संविधान कर्तव्यों के साथ-साथ मौलिक अधिकारों, मार्गदर्शक सिद्धांतों और नागरिक जिम्मेदारियों को भी परिभाषित करता है।
भारत का संविधान 395 अनुच्छेदों और 12 अनुसूचियों के साथ, यह पूरी दुनिया में सबसे लंबा संविधान है।
राष्ट्रीय संविधान दिवस संविधान में लिखे मूल्यों, जैसे न्याय, समानता और भाईचारे की याद दिलाता है। यह नागरिकों में उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है, उन्हें लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
हम कह सकते हैं कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर केवल संविधान निर्माता ही नहीं देश निर्माता भी थे। जिनके द्वारा लिखी गई संविधान आज देश को एक नई दिशा दे रहा है।




















