
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
नोखा/दावथ,(रोहतास)। गढ़ नोखा में आयोजित पांच दिवसीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के तीसरे दिन मंगलवार को प्रवचन के दौरान श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने अपने निवेदन में कहा कि विकृति आने पर जीवात्मा दुषित हो जाता है। इससे बचने लिए वेदांत एक मात्र सहारा है।
शास्त्र और संत का सानिध्य व्यक्ति को अधर्मी होने से बचाता है। इसके लिए भक्ति के सार तत्वों को रखते हुए उन्होंने कहा कि मौसमी भक्ति उत्पन्न करने से स्वयं को बचाना चाहिए।
छठ पूजा के दौरान सूर्य की जितनी महता होती है,उतना ही महत्व प्रत्येक दिनों में भी है। इसलिए सूर्य की अराधना छठ पूजा सहित अन्य दिनों में भी निरंतर करना चाहिए।
जरुरतमंद की मदद करना श्रेष्ठ भक्ति बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि कोई प्यास से मर रहा हो और कोई शिव को जलाभिषेक के लिए निकला हो।
उसे सर्वप्रथम प्यासे को जल देकर उसकी रक्षा करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने ने कई उदाहरणों के साथ मानवीय मूल्यों को रखते हुए श्रेष्ठ धर्म का बोध कराया।