वैशाली संवाददाता प्रभंजन कुमार की रिपोर्ट
हाजीपुर के दिग्गी कला में जन सुराज पार्टी के जिला कार्यालय में जन सुराज विचार मंच की बैठक सम्पन्न हूई । जिसमें जिले के विभिन्न पंचायतों से हजारों प्रबुद्ध लोगों ने भाग लिया। जिसमें शिक्षा व्यवस्था व रोजगार की समस्याओं पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विचार मंच के जिलाध्यक्ष रंजेश कुमार झा ने वैशाली जिले में प्राथमिक शिक्षा के हालात चिंताजनक बताते हुए कहा कि वैशाली जिले की बात करें तो यहां स्कूलों में शिक्षकों के पढ़ाने और बच्चों के सीखने का स्तर, गुणवत्ता के लिहाज से बहुत नीचे है। वैशाली जिले में ऐसी शिक्षण व्यवस्था के कारण अभी भी यहाँ के छात्रों को बेरोजगारी की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
यदि सरकार द्वारा जिले के प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान दिया जाता तो यहाँ के हालात बदलने में देर नहीं लगती। वैशाली में प्राथमिक स्कूल बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे हैं। यहां अगर कुछ सुविधाएं उपलब्ध भी है तो केवल दिखावे के लिए है l
यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है की बुनियादी सुविधाओं के नाम पर बिहार के स्कूल केवल दोपहर का भोजन देने बाला केंद्र बनकर रह गई हैं। इन स्कूलों में शिक्षा के अलावा बाकी सभी कार्य पूरी जिम्मेदारी के साथ किए जाते हैं। बात करे अगर यहां की शिक्षा गुणवत्ता की तो वह भी किसी हद तक सराहनीय नहीं है।
जन सुराज विचार मंच के जिला उपाध्यक्ष उमेश तिवारी ने कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था कैसी है, यह बात तो जगज़ाहिर है लेकिन इसी बीच कुछ महापुरुष ऐसे भी हैं जो लगातार यह दावा करते हैं कि बिहार में पहले के मुकाबले अभी शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार हुआ है।
सुधार अवश्य हुआ है इस बात में कोई दो राय नहीं है लेकिन सवाल यह है कि बिहार में शिक्षा का स्तर देश के बाकी राज्यों के मुकाबले इतना पिछड़ा हुआ क्यों है?
यदि बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर खर्च होने वाले बजट को देखा जाए तो इससे यह पता चलता है की सरकार ने अपनी तरफ से वहां की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रयास किए हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई फ़ायदा होता नहीं दिख रहा।
बिहार में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर तो सवाल खड़े हो हीं रहे हैं लेकिन सबसे अधिक सवालों के घेरे में यहाँ के शिक्षकों की भूमिका है।
सरकारी स्कूलों में जब उच्च अधिकारियों का दौरा होता है तब अधिकतर शिक्षक अनुपस्थित पाए जाते है। जो शिक्षक उस समय उपलब्ध होते हैं वो भी अकसर लापरवाही करते नजर आते है।
अभी हाल हीं में बिहार के एक सरकारी स्कूल में दौरे के दौरान उच्च अधिकारियों ने पाया की स्कूल में कुछ शिक्षक अनुपस्थित थे और उनमे से 2 शिक्षक कक्षा के बाहर कुर्सी लगाकर अपने फ़ोन में व्यस्त नजर आए।
एक तरफ तो सभी नियोजित शिक्षक समान काम के बदले समान वेतन की मांग करते हैं, वहीं दूसरी तरफ नियुक्ति के बाद अपने काम में ऐसी लापरवाही करते नजर आते हैं।
इसको लेकर यहाँ के युवा कहते हैं कि वो पलायन का विरोधी नहीं है। लेकिन अगर कोई महज 10-15 हजार की नौकरी करने के लिए या फिर एक अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य पलायन हो रहा है तो ये राज्य सरकार की नाकामी है।
क्योंकि ये किसी भी राज्य की सरकार की जिम्मेदारी होती है कि अपने नागरिक को हर वो मूलभूत सुविधा दे जिसका वो हकदार है, महज अगर अपने राज्य के लोगों को बुनियादी सुविधा भी नहीं दे सकते हैं तो ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं बनता है।
बैठक में मुख्य अतिथि शिक्षक संघ के नेता रंजीत कुमार झा ने शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बिहार में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा व्यवस्था के लिए परिवर्तन की बहुत जरूरी है ।
बैठक में जन सुराज विचार मंच के जिला कमिटी सदस्य राज कुमार सिंह, अमर कुमार चौवे, हाजीपुर प्रखंड अध्यक्ष धर्मपाल पटेल, सचिव घनश्याम कुमार, बिदुपुर प्रखंड अध्यक्ष प्रेम कुमार, गोरोल प्रखंड अध्यक्ष अमलेश कुमार,बेलसर प्रखंड अध्यक्ष ऋषव कुमार, राघोपुर प्रखंड अध्यक्ष धर्मेंद्र कु. सिंह पप्पू,
पातेपुर प्रखंड अध्यक्ष अंजू कुमारी के साथ साथ जिले के सभी जन सुराज विचार मंच के प्रखंड अध्यक्ष, अधिवक्ता संजीव कुमार, समाजसेवी बिपिन सिंह, राजीव सिंह, प्रमोद सिंह, हाईकोर्ट के अधिवक्ता कुणाल जी, शिक्षक सुनिल झा, सेवानिवृत शिक्षक सतीश चन्द्र झा के साथ साथ बैठक में जिले से आए हजारों लोग मौजूद थे ।