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मन की गति बहुत ही चंचल है: श्री जीयर स्वामी जी महाराज 

मन की गति बहुत ही चंचल है: श्री जीयर स्वामी जी महाराज

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

 दावथ( रोहतास): परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्‍न जीयर स्वामी जी महाराज ने मन को बहुत ही चंचल बताया। इस दुनिया में यदि सबसे तेज चलने वाला कोई भी चीज है तो वह मन है।

मन हमारा इतना चंचल है कि हम यहां बैठे हुए हैं। लेकिन मन हमारा हजारों किलोमीटर दूर कहीं पर चला गया है। यह मन हवा, अग्नि, सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी, आकाश से भी अधिक चंचल है।

वैज्ञानिकों के द्वारा हवा पर तो काबू पा लिया गया है। उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने कहा हवा को टायर में भरकर के काबू किया जा सकता है। हवा को बैलून में भरकर के काबू किया जा सकता है और भी अन्य कामों के लिए हवा को काबू कर सकते हैं। लेकिन मन हमारा बहुत चंचल है।

लेकिन इस चंचल मन को काबू में कैसे किया जा सकता है। मिडिया संचालक रविशंकर तिवारी ने बताया कि स्वामी जी ने कहा मन ही मृत्यु और मोक्ष का कारण है। मन में अच्छे विचार डालकर मन को काबू किया जा सकता है।

मन को काबू करने के लिए अध्यात्म, साधना, शिक्षा, संस्कार, शुद्ध आहार, व्यवहार से मन को पवित्र किया जा सकता है। जब हमारा मन पवित्र होगा। तभी हमारे मन में अच्छे विचार भी आएंगे। जिससे हम अपने मन पर काबू पा सकते हैं।

कभी-कभी यह चंचल मन बड़े-बड़े संत को भी भ्रमित कर देता है। लेकिन बड़े-बड़े ऋषि महर्षि तपस्वी इस चंचल मन को भी अपनी तप और साधना से साधने का निरंतर प्रयास करते रहते हैं।

जीवन में निरंतर काम करते रहना चाहिए। कर्म का त्याग ही मन को और गतिशील बना देता है। कहा जाता है कि खाली मस्तिष्क जो है कई रोगों का घर होता है। इसीलिए आप अपने मस्तिष्क दिमाग शरीर को किसी न किसी अच्छे कार्य में लगा कर रखें।

जिससे आपके मन दिमाग में खालीपन नहीं होगा। जब हम निरंतर अच्छे कार्यों में लगे रहते हैं। तब हमारे मन में अच्छे विचार भी आते हैं। इसीलिए मन को मनुष्य का भाग्य और दुर्भाग्य का विधाता भी कहा गया।

गुरु पूर्णिमा का मतलब समझाते हुए स्वामी जी ने कहा कि व्यास जी के जन्म जयंती के अवसर पर हर साल गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। व्यास जी जिनके द्वारा श्रीमद् भागवत की रचना की गई है। जिन्होंने अपने जीवन काल में 18 पुराणों की रचना की। वैसे गुरु तपस्वी व्यास जी के जन्म जयंती के रूप में गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है।

स्वामी जी ने कहा की परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर वैसे कोई विशेष आयोजन नहीं होगा। लेकिन सभी श्रद्धालु भक्तों के लिए प्रसाद पानी की व्यवस्था की गई है। वैसे गुरु पूर्णिमा के अवसर पर स्वामी जी के दर्शन करने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु भक्त आएंगे।

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