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मर्यादित नारी एवं वीरगति प्राप्त करने वालों को मिलता है मोक्ष: श्री जीयर स्वामी जी महाराज 

मर्यादित नारी एवं वीरगति प्राप्त करने वालों को मिलता है मोक्ष: श्री जीयर स्वामी जी महाराज

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

दावथ (रोहतास) परमानपुर चर्तुमास्‍य व्रत स्थल पर भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्‍न जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि मर्यादित जीवन जीने वाली स्त्री एवं देश की रक्षा करने वाले वीर जवानों को मृत्यु प्राप्त करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो भी व्यक्ति अच्छे काम के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों का त्याग करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देश की रक्षा, राज्य की रक्षा, मानव की रक्षा करते हुए जो कभी भी अपने साहस और पराक्रम से पीछे नहीं हटता है, युद्ध के समय पीठ नहीं दिखाता है, रक्षा करते हुए चाहे वह जीतता हो या मर जाता हो उसे भगवान की शरणागति प्राप्त होता है।

क्योंकि शास्त्रों में भी बताया गया है कि जो समाज, देश, अपनी मिट्टी, धरती माता के रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान देता है, उसको अधोगति नहीं होता है बल्कि उसे भगवान के घर भी वीर की भांति मोक्ष की प्राप्ति होती है।

स्वामी जी ने कहा कि हमारी माताएं भी मोक्ष को प्राप्त करने वाली होती हैं। जो भी माताएं अपने कर्म के अनुसार मर्यादित जीवन व्यतीत करती है। जो अपने माता-पिता, भाई, पति के मर्यादा में रहते हुए कार्य करती है, उसे भी मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

बताया गया है कि जो सैनिक, वीर देश सेवा में अपने प्राण को न्योछावर करते हैं, उनको जैसा सम्मान भगवान के घर मिलता है, वैसे ही सम्मान की अधिकारी हमारे माताएं भी हैं। क्योंकि माता ही सृष्टि की रचना करने वाली हैं।

जितने भी लोग इस संसार में जन्म लेते हैं, चाहे वह संत के रूप में हो, महात्मा के रूप में हो, साधारण मानव के रूप में हो, बड़े नेता के रूप में हो, चाहे कितने भी बड़े पद पर हो उनको भी जन्म देने वाली एक माता ही है। इसीलिए मर्यादित जीवन जीने वाली माता को मृत्यु के बाद भी मोक्ष का अधिकारी बताया गया है।

जीवन में विपत्ति, परेशानी, दुख, कष्ट आने पर भगवान नरसिंह का स्मरण करना चाहिए। क्योंकि जितने भी कष्ट, दुख, परेशानी हैं उसको हरने वाले भगवान नरसिंह को बताया गया हैं।

नरसिंह भगवान ऐसे भगवान हैं जो प्रहलाद जी को जब मारने के लिए आग, जल, हाथी एवं कई प्रकार से प्रताड़ित किया गया, तब भगवान नरसिंह ने प्रहलाद जी की रक्षा किया था। इसीलिए जीवन में यदि विपत्ति हो, कष्ट हो, दुख हो तो निरंतर भगवान नरसिंह का स्मरण करने से कष्ट का निवारण होता है।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में यदि लक्ष्मी की प्राप्ति नहीं हो रही है, धन की कमी है, तो उनको निरंतर हर दिन नियम के अनुसार गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना चाहिए। श्रीमद् भागवत महापुराण में भी गजेंद्र मोक्ष की स्तुति की गई है।

क्योंकि बताया गया है कि गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। धन की बढ़ोतरी होती है। इसीलिए जिसके जीवन में भी धन इत्यादि को लेकर के परेशानी है, उन्हें गजेंद्र मोक्ष का किताब का पाठ करना चाहिए।

श्रीमद् भागवत कथा अंतर्गत स्वामी जी के द्वारा राजा परीक्षित के वंश परंपरा को बताया गया। व्यास जी के पुत्र सुखदेव जी के द्वारा राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा सुनाया गया था।

वही राजा परीक्षित कौन थे, उनको क्यों श्राप लगा था, जिसकी कथा विस्तार से स्वामी जी ने बताया। शांतनु महाराज का पहला विवाह गंगा जी से हुआ।

जिनसे देवव्रत का जन्‍म हुआ, जिनका नाम आगे चलकर भीष्माचार्य हुआ। आगे शांतनु महाराज ने अपना विवाह सत्यवती से किया।

जिससे दो पुत्र हुए जिनका नाम विचित्रवीर और चित्रांगद हुआ। सत्यवती को देवताओं की आज्ञा से पराशर ऋषि के द्वारा एक पहले पुत्र प्राप्त हुए थे। जिनका नाम व्‍यास जी था।

विचित्रवीर और चित्रांगद का विवाह अंबिका, अंबालिका से हुआ। लेकिन विचित्रवीर और चित्रांगद से कोई पुत्र नहीं हुए। वहीं व्यास जी को उनके माता सत्यवती के द्वारा बुलाया गया।

व्यास जी ने अपने तप साधना से पुत्र प्राप्त करने का अधिकार अंबिका और अंबालिका को दिया। अंबिका से धृतराष्ट्र हुए अंबालिका से पांडु महाराज हुए। वहीं दासी से विदुर जी हुए। धृतराष्ट्र के 100 पुत्र हुए। जिनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था। पांडू महाराज के पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव हुए।

वहीं अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु हुए। जिनके पत्नी का नाम उतरा था। अभिमन्यु एवं उत्तरा से एक बालक जन्म लिए जिनका नाम राजा परीक्षित हुआ।

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