अब OPD में आने वाले मरीजों की अस्पताल में ही बनेगी आभा आईडी, CMO ऐसे पूरा कराएंगे टारगेट
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाई.के. राय ने बताया कि चंदौली की लगभग 24.50 लाख आबादी को डिजिटल स्वास्थ्य पहचान प्रणाली से जोड़ने का लक्ष्य है।

CHC-PHC समेत सभी सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था लागू
रोजाना देनी होगी जिम्मेदार लोगों को अपनी रिपोर्ट
डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र के लिए CMO ने बनायी नयी रणनीति
चंदौली जिले में अब जिले के मरीजों को आभा आईडी (डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र) बनवाने के लिए अलग-अलग केंद्रों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी किया है कि जनपद के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों जैसे जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी और शहरी पीएचसी—में ओपीडी पर आने वाले हर मरीज की वहीं आभा आईडी बनाई जाएगी।
इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाई.के. राय ने बताया कि चंदौली की लगभग 24.50 लाख आबादी को डिजिटल स्वास्थ्य पहचान प्रणाली से जोड़ने का लक्ष्य है। इसके लिए सभी स्वास्थ्य इकाइयों को निर्देशित किया गया है कि ओपीडी में पंजीकरण के दौरान ही मरीज की आभा आईडी बनाई जाए। इसके साथ ही जननी सुरक्षा योजना की लाभार्थियों की आभा आईडी भी प्रसव केंद्रों पर अनिवार्य रूप से तैयार कराई जाएगी।
इस प्रकार रोजाना देनी होगी रिपोर्ट
प्रत्येक सीएचसी और पीएचसी से रोजाना यह रिपोर्ट ली जाएगी कि कितने मरीजों की आभा आईडी बनाई गई। निगरानी के लिए “आभा आईडी एवं ई-संजीवनी” नाम से एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है, जिसमें बीसीपीएम को प्रतिदिन रिपोर्ट भेजनी होगी।
क्या है आभा आईडी?
यह 14 अंकों की एक यूनिक डिजिटल पहचान संख्या होती है, जिसे मरीज अपने मोबाइल पर भी सक्रिय कर सकते हैं। इसके माध्यम से व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट, दवाएं, पर्चियां, ब्लड ग्रुप और उपचार से जुड़ी जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध रहती हैं। डॉक्टर इस आईडी के जरिए मरीज के पिछले इलाज को देखकर आगे की चिकित्सा कर सकेंगे।
मरीजों को होंगे ये लाभ:
हर बार रिपोर्ट या पर्ची लाने की जरूरत नहीं,पुराने इलाज का रिकॉर्ड डॉक्टर के सामने,इलाज की प्रक्रिया अधिक आसान और पारदर्शी,सरकारी योजनाओं से जोड़ने में सहूलियत होगी।
स्वास्थ्य विभाग की यह पहल आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों तक पहुंचाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।




















