ऐसी है चंदौली जिले में बाढ़ से निपटने की तैयारी, 35 चौकियां और 44 नावें पूरी तरह से तैनात
बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए राजस्व, पुलिस, स्वास्थ्य, कृषि और सिंचाई समेत सभी प्रमुख विभागों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं।

संभावित बाढ़ से निपटने के लिए पूरी हुई तैयारी
पुलिस, राजस्व और अन्य विभागों को सौंपी जिम्मेदारी
गोताखोरों को रखा गया अलर्ट मोड में
24 घंटे सतर्क रहेंगे सभी विभागीय अधिकारी और कर्मचारी
चंदौली जिले में मानसून की सक्रियता और संभावित बाढ़ संकट को देखते हुए जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। गंगा और अन्य नदियों के किनारे बसे गांवों को सुरक्षित रखने के लिए 35 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं और 44 नावों की व्यवस्था कर दी गई है।
अधिकारियों के मुताबिक, बाढ़ के दौरान राहत और बचाव कार्यों के लिए राजस्व, पुलिस, स्वास्थ्य, कृषि और सिंचाई समेत सभी प्रमुख विभागों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। पुलिस बल की तैनाती के तहत हर चौकी पर एक उपनिरीक्षक और दो कांस्टेबल मुस्तैद रहेंगे।
अपर जिलाधिकारी एवं बाढ़ नियंत्रण के नोडल अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि “शासन के निर्देश पर संभावित बाढ़ को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हालांकि, फिलहाल जनपद में बाढ़ की कोई गंभीर स्थिति नहीं है, लेकिन एहतियात के तौर पर यह इंतजाम किए गए हैं।”
जिले में पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर बारिश हो रही है और मौसम विभाग ने आने वाले समय में भारी वर्षा की संभावना जताई है। गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों के अलावा कर्मनाशा, चंद्रप्रभा और गड़ई नदियों के किनारे बसे गांवों को भी सतर्क किया गया है।
खास तौर पर कर्मनाशा नदी किनारे बसे मानिकपुर, सवैयां, पचपरा, टीरो और जेंगुरी गांवों तथा गंगा किनारे धानापुर और चहनियां विकास खंड के गांवों में अतिरिक्त सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं। इन गांवों को बाढ़ के लिहाज से अति संवेदनशील माना जाता है।
प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को विशेष रूप से अलर्ट रहने को कहा है ताकि बाढ़ के दौरान होने वाली संक्रामक बीमारियों से बचाव किया जा सके। गोताखोरों की टीमों को भी तैयार रहने का निर्देश दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में त्वरित राहत पहुंचाई जा सके।
राजस्व विभाग, पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों को 24 घंटे अलर्ट मोड में रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। सभी संबंधित विभागों को समन्वय बनाकर काम करने और किसी भी स्थिति से तुरंत निपटने के आदेश दिए गए हैं।
अधिकारियों ने बताया कि जिले में पहले भी बाढ़ का अनुभव रहा है। वर्ष 2002 में लगातार भारी बारिश के चलते जिले के मूसाखांड, नौगढ़, लतीफशाह और भैसौड़ा बांध के सभी फाटक खोलने पड़े थे, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। उसी अनुभव से सबक लेकर प्रशासन ने इस बार पहले से ही चौकसी और तैयारी का दावा किया है।
प्रशासन की ओर से ग्रामीणों से भी अपील की गई है कि वे बारिश और बाढ़ के दौरान अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत स्थानीय प्रशासन को सूचित करें।




















