रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
दावथ (रोहतास)प्रखंड क्षेत्र के सबसे प्राचीन सूर्यमंदिर दावथ पंचमन्दिर सज धज कर तैयार हो गया है। जय बजरंग छठ पूजा समिति एवं नवरत्न छठ पूजा समिति के सदस्यों ने मंदिर व तालाब को भव्य ढंग से सजाया है।
साथ ही व्रतियों व उनके सम्बन्धित लोगो को खाने पीने व रहने के लिए समुचित व्यवस्था किया है।पंचमन्दिर सूर्यमठ में छठ व्रत का अर्ध्य अर्पण करने से मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।
इसी मान्यताओं को ले बिहार झारखंड उतरप्रदेश एवं प्रखंड समेत दूरदराज इलाकों से छठव्रती अर्घ्य अर्पण करने यहां आते हैं।
मन्नतें पूरी होने पर लोग अस्ताचलगामी सूर्य की अराधना के बाद रात में बाजे गाजे के साथ घाट पर सत्यनारायण व्रत पूजा आदि करवाते हैं। जबकि उदयीमान सूर्य को अर्घ्य अर्पण कर लोग अपने नन्हें मुन्नों का मुंडन संस्कार करवाते देखे जाते हैं।
लोगों की मान्यता रही है कि जो कोई व्यक्ति उक्त घाट पर सच्चे मन से सूर्य की अराधना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती हैं।
बताते चले की दावथ निवासी बाबू साधू सिंह की स्त्री शुक ला कुंवर ने 1954 ई में तालाब का निर्माण कराया जबकि मंदिर का निर्माण 1955 ई में कराया था।
दावथ निवासी घना मिस्त्री ने ही इस मंदिर को बनाया था। पूजा पाठ का कार्य स्वर्गीय पंडित चंद्रशेखर मिश्र के आद,औलाद करते आ रहे हैं।