सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
अपनी अमृत धारा बरसाने वाली जीवन दायिनी बरनार नदी आज मरणासन्न स्थित मे हे , ओर वह जीवन धारा मांग रही है ।
इसके लिए इस छठ महापर्व के दौरान बरनार नदी छठ माता का गीत टुटती बिखेरती सांसो से गायेगी ओर भगवान भास्कर सुर्य को अर्घ्य देगी । क्योंकि लोगों की जुल्म से बरनार नदी की धारा मरणासन्न स्थित में हो चुकी है ।
बरसात के मौसम में यह नदी जहाँ बौराती हे वहीं शैष बचे महीनों में सुखे गड्ढों मे प्यासी पड़ी रहती है । लिहाजा गिनती के लिए ही अब इसकी सांसे बची रह गई है ।
प्रकृति के इस महान पर्व छठ पूजा के गीतों के बीच बरनार नदी का दर्द कराह बनकर बाहर आ रहा है । साथ ही अतिक्रमण ओर भारी तायदाद मे बालु निकाले जाने से यह नदी पुरी तरह आहत हो गई है ।
इस नदी के खजाने से बालु के साथ साथ पानी भी गायब हो चुकी है । ओरों के प्यास दुर करने वाली बरनार नदी से भारी मात्रा में उठाये गए बालु से बनी गड्ढों के कारण गरमियों के दिनों में ये खुद प्यास से कराह उठती हे ।