
नालंदा संवाददाता: मगध भूमि की गौरव गाथा को पुनर्जीवित करने के लिए धार्मिक नगरी राजगीर में प्रथम बार अंतरराष्ट्रीय मगध गौरव सम्मान से देशभर के विशिष्ट कार्य करने वाले 50 महानुभावों को नवाजा गया।
संस्कृति और परंपरा का प्रतिबिंब है मगध
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नालंदा खुला विश्वविद्यालय के वीसी डॉ. संजय कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि मगध अपने आप में संपूर्ण भारत को समाहित किए हुए है।

इसके इतिहास के साथ जैव विविधा भी अमूल्य रही है। जहां इंसान के साथ संपूर्ण जीव जंतु पुष्पित और पल्लवित हुए हैं।
लेकिन विकास की दौड़ में इनका भारी नुकसान हुआ। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों में जागरूकता और युवा पीढ़ी में कुछ नया करने का जोश पैदा होगा जो राष्ट्र निर्माण सहायक होगा।
मगध ज्ञान व कर्म की भूमि रही है
डॉ.डी.आर.रेवाला (सहायक आयुक्त सीजीएसटी, सीमा शुल्क एवं सेवा कर, भारत सरकार) ने इस मौके पर कहा कि मगध ज्ञान और कर्म की भूमि रही जहां बुद्ध,महावीर,गुरु नानक,मखदूम साह जैसे संत और मार्गदर्शक हुए हैं।

आज जरूरत है इनके दिखाए गए रास्ते का अनुसरण कर मगध की गौरव गाथा को दुनियां के सामने पुनः उजागर किया और ये ऐसे हीं कार्यक्रमों के माध्यम से संभव है।
मगध है भारतवर्ष की पहचान
आयोजक समिति के प्रमुख रहे मानद कुलपति प्रमुख धराधाम अंतर्राष्ट्रीय के डॉ सौरव पाण्डेय ने कहा कि मगध कभी भारतवर्ष की पहचान रही है यह केवल इतिहास के पन्नों तक सिमट कर न रह जाए इसलिए हम सभी संस्थाओं ने मिलकर पुनरोत्थान की दिशा में ये सम्मान समारोह के रूप में सार्थक पहल की है।

इसके अलावे अन्य गण्यमान्य अतिथियों में मेहता नागेन्द्र सिंह,पूर्व भूवैज्ञानिक,भारत सरकार,महंत सुधीर दास शास्त्री, अयोध्या धाम, नंदलालमणि त्रिपाठी, साहित्यकार यूपी, यह सम्मान समारोह का आयोजन डॉ सौरभ पाण्डेय(धाराधाम इंटरनेशनल), डॉ अभिषेक कुमार(दिव्य प्रेरक कहानियाँ मानवता अनुसंधान केंद्र उत्तर प्रदेश) व राजीव रंजन पाण्डेय (गौरैया विहग फाउंडेशन,नालंदा) के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इस सम्मान समारोह में राजगीर स्थानीय समाजसेवियों मंतोष कुमार मिश्रा,सुधीर उपाध्याय,राजगीर के ब्रांड अम्बेसडर भैया अजीत, संयुक्त कुमारी, आनंद तिवारी, सुनील कुमार, डॉ कामना, कविता प्रवीन, मनोहर कुमार चौधरी, रमेश कुमान, अनीता गहलोत, अनुपम कुमार, अमर राजपूत, दीक्षा भारती, रिया कुमारी के अलावे अन्य लोग मौजूद थे।




















