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“11बजे लेट नहीं, 3 बजे भेंट नहीं” के पद्धति पर कार्य कर रहे हैं कुर्था प्रखंड के विभिन्न विभागों के अधिकारी, लोग आए दिन लगते रहते हैं विभागों के कार्यालय का चक्कर

पूछने पर बनाते है भीसी का बहाना

अरवल जिला ब्यूरो बीरेंद्र चंद्रवंशी की रिपोर्ट 

कुर्था, भले ही बिहार में नीतीश कुमार के सुशासन की सरकार चल रही हो लेकिन कुर्था प्रखंड के हालात देखकर ऐसा लगता है कि यहां के अधिकारियों को बिहार के मुख्यमंत्री के सुशासन से कोई लेना-देना नहीं है.

इन्हें जब मर्जी करेगा तब अपने कार्यालय में आएंगे नहीं मर्जी करेगा तो नहीं आएंगे मानो उक्त प्रखंड कार्यालय में कार्यरत विभिन्न विभागों के अधिकारी अपने मन मुताबिक अपने कार्यालय में बैठते हैं भले ही आए दिन जनता को लाखों परेशानी क्यों न झेलना पड़े लेकिन अधिकारी अपनी सुविधा के अनुसार ही कार्यालय में बैठेंगे,

चाहे प्रखंड विकास पदाधिकारी हो अंचलाधिकारी हो प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी हो प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी हो या फिर विभिन्न विभागों के पदाधिकारी जो अपने मन के अनुसार ही कार्यालय में ड्यूटी बजाते हैं अन्यथा वह अपने आवास में आराम फरमाते हैं पूछने पर भीसी का बहाना बनाते हैं.

जिससे स्पष्ट होता है कि कुर्था प्रखंड के अधिकारियो को आम जनता की कोई चिंता नहीं है चिंता है तो सिर्फ उन्हें अपनी सुविधा की हालांकि इन कार्यालय में दलालों की भी खूब चलती है जो दिनभर अधिकारियों के आब भगत में लगे रहते हैं उनका कार्य अवश्य होता है लेकिन आम जनता भले ही रोज क्यों न कार्यालय के चक्कर लगाकर घर वापस चले जाए.

उस इन अधिकारियों को कोई लेना-देना नहीं है मानो इन दोनों प्रखंड में लाल पिता शाही का नजारा स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है 11 बजे लेट नहीं 3 बजे भेंट नहीं के पद्धति पर प्रखंड के सभी अधिकारी अपने कार्य को अंजाम देते हैं आश्चर्य की बात तो तब है कि सोमवार को कुर्था अंचलाधिकारी रितिका कृष्णा सुबह अंचल कार्यालय में 10:10 बजे पहुंच गई थी.

परंतु उनके कार्यालय भी बंद था परिणाम स्वरूप आनन फानन में 10:10 में कार्यालय खोला गया वही आरटीपीएस काउंटर 10:30 बजे तक बंद रहा जबकि उसमें कार्यरत गर्मी 10:50 में अपने कार्यालय में प्रवेश किया वहीं मनरेगा कार्यालय 10:44 पर खुला.

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