Wednesday 15/ 01/ 2025 

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बिहारराज्यरोहतास

समेकित कृषि प्रणाली से मिर्जापुर के किसान सुनील कुमार कमा रहे हैं साल में लाखों रुपए

रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट 

दावथ (रोहतास) दावथ प्रखंड के मिर्जापुर गांव के रहने वाले सुनील कुमार ने समेकित कृषि प्रणाली (इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम) को अपनाकर खेती के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है।

इस प्रणाली के अंतर्गत वे मछली पालन के साथ-साथ धान, मक्का और विभिन्न सब्जियों, फल फूल की खेती भी करते हैं।

यह प्रणाली उन्हें सालाना 20 से 22 लाख रुपये तक का आमदनी होती है। उनकी यह सफलता न सिर्फ कड़ी मेहनत का नतीजा है, बल्कि एक सुविचारित योजना का हिस्सा भी है।

सुनील कुमार ने परंपरागत खेती से हटकर एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें सिर्फ एक फसल पर निर्भर न रहते हुए उन्होंने विविधतापूर्ण खेती को प्राथमिकता दी।

इस दृष्टिकोण ने उनकी आय के स्रोतों को कई गुना बढ़ा दिया है।मछली पालन के जरिए पानी का सही उपयोग करते हुए उन्होंने अपनी आय को और भी बढ़ाया।

वहीं धान, मक्का और सब्जियों की खेती ने उन्हें हर मौसम में मुनाफा कमाने का मौका दिया। पशुपालन, व वृक्षारोपण का भी शौक बखूबी है। जिससे विभिन्न प्रकार के वृक्ष लगाए हैं।

सुनील कुमार का कहना है उनका इंटीग्रेटेड फार्मिंग मॉडल उन्हें जलवायु और बाजार की अनिश्चितताओं से भी बचाता है। उनके पास हमेशा कई आय स्रोत होते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत रहती है।

उनकी इस सफलता ने साबित कर दिया है कि आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से किसान अपनी आय को न सिर्फ स्थिर कर सकते हैं, बल्कि उसे निरंतर बढ़ा भी सकते है।

सुनील कुमार की इस यात्रा आस-पास के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। कई किसान अब उनसे सलाह लेकर अपने खेतों में इसी तरह की विविधतापूर्ण खेती के प्रयोग कर रहे हैं।

सुनील ने न केवल अपनी खेती को उन्नत किया है, बल्कि क्षेत्र में एक नई कृषि क्रांति का बीजारोपण भी किया है।

यह कहानी सभी किसानों के लिए एक संदेश है कि पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर अगर मेहनत और नवाचार को सही दिशा में लगाया जाए, तो खेती से भी बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।

सुनील कुमार की यह यात्रा एक उदाहरण है कि कैसे एक किसान आत्मनिर्भर होकर सफल हो सकता है। उन्होंने बताया कि पहले परम्परागत खेती करते थे।

लेकिन कृषि विज्ञान केन्द्र बिक्रमगंज, कृषि विश्वविद्यालय सबौर, व कृषि विभाग से कई प्रशिक्षण प्राप्त कर खेती में नवाचार प्रयोग किया।

अब तो नाबार्ड और रिद्धि सिद्धि फाउंडेशन ने सहयोग का हाथ बढ़ाया है। जिससे पशुपालन, मछली पालन, मुर्गा पालन, बतख पालन, बकरी पालन किया जाएगा।

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