
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं. एवं झाझा के बीच तीसरी और चौथी रेल लाईन का होगा निर्माण
17000 करोड़ रुपए की लागत से होगा काम ।
400 K M लंबी और चौथी रेल लाईन का होगा निर्माण।
वर्षों का सपना साकार होने आया वक्त।
केन्द्र सरकार ने खोला खजाना।
पूर्व मध्य रेलवे के औद्योगिक करण में होगा महत्वपूर्ण कदम।
बता दें आपको की PDD और झाझा रेलवे लाईन का निर्माण 1860/1870 के समय में किया गया था।
रेल यात्रा होगी सुगम और शानदार।
बिहार राज्य संवाददाता बिरेंद्र कुमार की रिपोर्ट
हाजीपुर CPRO, सरस्वती चन्द्र ने बताया कि……
रेल यात्रा सुगम हो साथ ही मालगाड़ी की आवाजाही भी सुगमतापूर्वक किया जा सके इसके लिए पूर्व मध्य रेल द्वारा रेल आधारभूत संरचना में वृद्धि का कार्य किया जा रहा है ।
इसी क्रम में पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा के मध्य तीसरी और चौथी लाईन का निर्माण किया जाएगा । इससे औद्योगिकीकरण में तेजी आएगी साथ ही पूर्व मध्य रेल का यह कदम विकसित बिहार के सपनों को भी साकार करेगा ।
इसी कड़ी में 17 हजार करोड़ रूपए की लागत से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा के मध्य लगभग 400 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी रेल लाईन का निर्माण किया जाएगा । तीसरी और चौथी रेल लाईन के निर्माण कार्य की प्रक्रिया अगले कुछ ही महीनों में चरणबद्ध तरीके से प्रारंभ हो जाएगी ।
इस पूरी परियोजना को कई हिस्सों में बांटा गया है तथा रेलवे बोर्ड द्वारा चरणबद्ध तरीके से इसकी स्वीकृति प्रदान की जा रही है। निर्माण कार्य सुगमतापूर्वक तेजी से पूरा करने के लिए इसे पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-दानापुर, दानापुर-फतुहा, फतुहा-बख्तियारपुर, बख्तियारपुर-पुनारख, पुनारख-किऊल तथा किऊल-झाझा जैसे छोटे-छोटे रेलखंडों में बांटा गया है ।
इसके तहत् प्रथम चरण में लगभग 931 करोड़ रूपए की लागत से 6.6 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण सहित बख्तियारपुर से फतुहा (24 किमी) तथा लगभग 392 करोड़ रूपए की लागत से 01 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण सहित बख्तियारपुर से पुनारख (30 किमी) की स्वीकृति रेलवे बोर्ड द्वारा प्रदान कर दी गयी है जिसमें बख्तियारपुर-पुनारख निविदा प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी जिसके बाद भूमि अधिग्रहण एवं निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा ।
पुनारख से किऊल लगभग 2514 करोड़ की अनुमानित लागत तथा लगभग 903 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत से किऊल-झाझा रेलखंड की स्वीकृति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है । शेष रेलखंडों की स्वीकृति विभिन्न स्तर पर प्रक्रियाधीन है ।
इस तीसरी और चौथी लाईन के निर्माण में पटना के इर्द-गिर्द जमीन की कमी के मद्देनजर दानापुर से पटना के मध्य 02 स्टेबलिंग लाइनों को हटाकर इसकी जगह तीसरी और चौथी लाईन का निर्माण किया जाएगा ।
इसी तरह पटना एवं पटना सिटी के मध्य जगह की कमी के कारण अप एवं डाउन दिशा के लिए एक अतिरिक्त लाइन का निर्माण संभव हो सकेगा जिसे रिवर्सेबल तरीके से उपयोग किया जाएगा ।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं.-झाझा रेल लाईन का निर्माण 1860-70 के दशक में किया गया था । तत्पश्चात् इसका दोहरीकरण किया गया। तब से अब तक कई दशकों के मध्य जनसंख्या वृद्धि एवं औद्योगिकीकरण के मद्देनजर यात्री गाड़ियों के साथ-साथ मालगाड़ियों की संख्या में भी निरंतर वृद्धि होती चली गयी । इसके फलस्वरूप ट्रैकों की क्षमता से कई गुणा अधिक गाड़ियों के परिचालन से ट्रैकों के रख-रखाव एवं समय पालन में कठिनाइयां आती थीं ।
इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए ट्रैकों की क्षमता में वृद्धि अति आवश्यक था । इन्हीं के मद्देनजर मालगाड़ियों के परिचालन हेतु पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर तथा तीसरी एवं चौथी लाइन का निर्माण किया जा रहा है ।
इन लाइनों के निर्माण से मालगाड़ी के साथ-यात्री गाड़ियों का परिचालन सुगमतापूर्वक किया जा सकेगा साथ ही काफी संख्या में अतिरिक्त ट्रेनों के परिचालन का मार्ग भी प्रशस्त होगा । इससे रेल कनेक्टिविटी मजबूत होगी जो औद्योगिकीकरण वृद्धि में सहायक होगा ।




















