Sunday 26/ 01/ 2025 

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15 वर्षों बाद भारत लोटा दुर्लभ पक्षी, नागी नकटी डेम बना बसेरा

सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट 

बड़ी संख्या में अति दुर्लभ पक्षी स्किमर बर्ड जमुई के सोनो प्रखंड छेत्रों में देखा जा रहा है । पंद्रह वर्षों बाद जमुई की धरती पर अति सुन्दर ओर आकर्षक कलर के इस पक्षी को देखे जाने पर वन विभाग के साथ ही पर्यटकों में खुशियां देखी जा रही है ।

बताया जाता है कि इन पक्षियों के आश्रयनी बने नागी नकटी डेम से भोजन की तलाश में विचरण करते हुए आते हैं ।

देश विदेश से आने वाले पर्यटक इस दुर्लभ पक्षी द्वारा नागी नकटी डेम में किए जा रहे कलरव को देख मंत्रमुग्ध हो जाते हैं ।

पंद्रह वर्षों बाद भारत वापस लोटा विदेशी मेहमान का नाम इंडियन स्किमर बर्ड है ‌, जिसका बड़े बड़े चोंच सफेद गर्दन और काले काले पंख लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है , जिस कारण यह पक्षी पर्यटकों के चेहरों पर रौनक लाने के लिए काफी है ।

बताया जाता है कि नदियों ओर तालाबों के समिप बढ़ते प्रदुषण के कारण यह पक्षी चीन चला गया था , लेकिन 15 वर्षों के बाद इस प्रजाति का जोड़ा वापस लोट आया है ‌।

विलुप्त की कगार पर पहुंच चुके इस प्रजाति के पक्षी चीन से लोटकर बिहार के जमुई जिला स्थित झाझा थाना क्षेत्र अंतर्गत नागी नकटी डेम में आई है। जिसकी एक झलक पाने के लिए लोग नागी नकटी डेम पहुंच रहे हैं ।

दुर्लभ प्रजाति का दर्जा प्राप्त इस पक्षी के बारे में बताया जाता है कि यह पक्षी पानी की जल स्त्रोत के समिप जोड़े के रूप में वास करते हैं तथा यह खासकर छोटे छोटे किट पतंग ओर मछली इनका प्रमुख भोजन है ।

इसका सिर काली ओर चोंच पीली कलर के रहने के कारण यह देखने में काफी आकर्षक लगती है । यह अपनी भोजन की तलाश में उड़कर दुर दुर तक चले जाते हैं ।

ज्ञातव्य हो कि प्रवासी पक्षियों का आश्रयनी बने नागी नकटी डेम में नवंबर माह से सैलानियों का आना प्रारंभ हो जाता है।

पक्षियों से प्रेम करने वाले जर्मनी , श्रीलंका आदि विभिन्न देशों से आने वाले सैलानियों के लिए यहां कई प्रकार की विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है ।

जिसमें इन पक्षियों को अपने काफी नजदीक से देखने के लिए कई प्रकार के यंत्र लगाया गया है ।

जिससे इन पक्षियों के नजदीक गये बीना उनके द्वारा किए गए क्रिया कलापों को साफ देखा जा सकता है । साथ ही पर्यटकों को नौका विहार के द्वारा भी उन्हें इन पक्षियों का दीदार कराया जाता है ।

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