
रोहतास दावथ संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
दावथ (रोहतास) बिक्रमगंज अनुमंडल से मात्र 9 किलोमीटर दूर प्राकृतिक सुंदरता एवं शांत वातावरण के बीच दावथ गांव में स्थित करीब पांच सौ वर्ष पुराना प्राचीन आशावरी माता के मंदिर का रोचक इतिहास है।
यहां पर नवमी के दिन भारत के विभिन्न राज्यो से लोग आते हैं और परिवार की खुशहाली के लिए दुआएं मांगते हैं।
दावथ निवासी महेंद्र सिंह, अजीत सिंह, अभय सिंह, गुड्डू सर , धुनमुन सिंह, विनोद सिंह ,तनु सिंह,ने बताया की इस मंदिर की प्रसिद्ध अब मनोकामना पूर्ण मंदिर के रूप में लोग मान रहे हैं।
जिसकी जो भी मनोकामना होती है वे सच्चे हृदय से मां के शरण में आकर मांगता है मां उसकी मनोकामना एक वर्ष के अंदर ही पूरी कर देती है। मंदिर की देखभाल का कार्य समिति सदस्यों एवं गांव लोगो के द्वारा किया जाता है।
ग्रामीण अजय सिंह, संजय सिंह,अवधेश सिंह, रिंटू सिंह, ढुनमुन सिंह सहित कई लोगों ने बताया की ये ढेकहा राजपूत वंश की कुल देवी हैं। भारत मे जहाँ कहीं भी ढेकहा राजपूत हैं सभी दावथ के ही निवासी हैं।
मंदिर के पुजारी अंजनी पाठक ने बताया की जो भी सच्चा मन से माताजी का दर्शन करते हैं,माँ उनकी मन्नतें पूरी करती हैं। यहाँ साल में तीन बार विशेष पूजन होता हैं।
एक शारदीय नवरात्र में दूसरा माँ के जन्मउत्सव में और तीसरा चैत्र नवरात्र में, प्रत्येक अष्टमी तिथि को मां के भव्य आरती आयोजित की जाती है।मंदिर काफी विशाल हैं।साथ ही मंदिर के प्रांगण में एक बड़ा पुस्तकालय भी हैं।
जिस में गाँव के छात्र छात्रा,सांयकाल में अध्ययन करते हैं। इसमें गांव के सभी लोग अपना पूरा सहयोग देते हैं। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पीने के पानी व ठहरने के लिए उत्तम व्यवस्था है।