
सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
हरेक साल अश्विन माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है । लेकिन सभी पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है ।
आश्विन महीने की इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं क्योंकि इस पुर्णिमा का शुभारंभ के साथ ही शरद ऋतु के आने का संकेत है ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा भीकहते हैं।
वहीं दूसरी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी भूमिलोक पर भ्रमण करने के लिए आती हैं , इसलिए इसे कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं ।
शरद पूर्णिमा के दिन रात में खुले आसमान के नीचे चांद की रौशनी में खीर रखने का विधान है । पंचमुखी हनुमान मंदिर बटिया के विद्वान पुजारी श्री मिथलेश पांडेय ने बताया कि इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को है ।
हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 16 अक्तूबर को रात 8 बजकर 40 मिनट पर होगा ।
पूर्णिमा तिथि का समापन शाम 4 बजकर 55 मिनट पर होगा । शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 5 बजकर 7 मिनट का होगा ।




















