
सोनो जमुई संवाददाता चंद्रदेव बरनवाल की रिपोर्ट
कार्तिक शुक्ल पक्ष अक्षय नवमी को दान सहित ऑवला वृक्ष की पुजा करने की हे परंपरा
सोनो प्रखंड क्षेत्र मे इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों के द्वारा अपने घरों पर कार्तिक उद्यापन सह साप्ताहिक ज्ञान महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है ।
यज्ञ प्रारंभ के तिसरे दिन रविवार को लोगों ने ढोल बाजे के साथ एवं बड़ी संख्या में शामिल महिलाओं ने भक्ति गीत गाते हुए पैदल चलकर ऑवला वृक्ष के पास पहुंचे । जहाँ पर विद्वान पंडितों द्वारा विधिवत ऑवला वृक्ष की पुजा की गई ।
इसी दौरान दहियारी गाँव निवासी पत्रकार पंकज बरनवाल के आयोजित इस साप्ताहिक ज्ञान महायज्ञ को लेकर बड़ी संख्या में शामिल महिलाओं ने ढोल बाजे के साथ पैदल चलते हुए तकरीबन तीन किलोमीटर दूर जंगल पहुंचकर ऑवला वृक्ष की नीचे साफ सफाई करते हुए वृक्ष की जड़ों में शुद्ध जल चढाने के बाद पुजा अर्चना की गई ।
साथ ही ऑवला वृक्ष के समिप बैठकर कथा सुनने के बाद पेड़ों की परिक्रमा करते हुए यथा शक्ति विभिन्न सामग्रियों मे कुमकुम , चावल , अबीर , गुलाल , फुल तथा भोग के लिए मिठाई आदि का दान किया गया । तत्पश्चात ऑवला के पौधे की तनो पर कच्चे सुत से लपेटने के बाद धुप दीप जलाकर आरती की गई ।
ज्ञात हो की प्रकृति के सम्मान ओर पेड पौधों की पुजा एवं उनकी रक्षा करने का विधान इस अक्षय नवमी पर बताया गया है । ऑवला वृक्ष की पुजा करने के बाद उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद रुपी भोजन कराया गया ।
मान्यता हे कि अक्षय नवमी को ऑवला वृक्ष की पुजा करने से भगवान बिष्णु ओर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को देवी लक्ष्मी ने भगवान बिष्णु के साथ भगवान शिव की पुजा करना चाहती थी ।
तभी देवी लक्ष्मी ने सोची की भगवान विष्णु को तो तुलसी बहुत प्रिय है और भगवान शिव को बिल्वपत्र प्रिय हैं । साथ ही तुलसी ओर बिल्वपत्र के गुण तो ऑवले के पौधे मे है ।
यह सोचकर माता लक्ष्मी ने ऑवले के पैड़ को ही भगवान विष्णु ओर शिव जी का स्वरूप मानते हुए इसकी पुजा करी ।
देवी लक्ष्मी के द्वारा किया गया ऑवले वृक्ष की इस पुजा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ओर भगवान शिव प्रकट हो गये , जहाँ पर देवी लक्ष्मी ने दोनों को भोजन कराकर मन इच्छा प्राप्त की ।