पूर्व रेल चालक रंजन कुमार साहा की मौत के उपरांत, पत्नी रेणु साहा, एकलौती पुत्री रंजना साहा ने मृतक को संयुक्त रूप दिया मुखाग्नि। समाजिक कुरीतियों को तोड़ा? बना मिशाल

पूर्व रेल चालक रंजन कुमार साहा की मौत के उपरांत, पत्नी रेणु साहा, एकलौती पुत्री रंजना साहा ने मृतक को संयुक्त रूप दिया मुखाग्नि। समाजिक कुरीतियों को तोड़ा? बना मिशाल।
जमुई जिला ब्यूरो बिरेंद्र कुमार की रिपोर्ट
झाझा तालाब रोड के निवासी, पूर्व मध्य रेल के, रेल चालक रंजन कुमार शाह की नेचुरल डेथ हो गई।
ऐसे में आपको पता है कि समाज में बेटियों को मुख्य अग्नि या फिर शमशान घाट तक जाने की मनाही होती है।
लेकिन मृतक रंजन कुमार साहा,की पत्नी रेणु साहा एकमात्र बेटी रंजन साहा,न सिर्फ श्मशान घाट तक गई बल्कि दोनों ने संयुक्त रूप से अपने पति और अपने पिता की चिता पर रखें शव को मुखाग्नि देकर एक मिशाल कायम किया।
वैसे भी हिंदू संस्कार में बहुत सारी बातें हैं जो महिलाओं पर ही लागू होती हैं।
आज दोनों महिलाओं ने समाज के मिथक को तोड़ते हुए एक तरह से नया उदाहरण देने का काम किया है।
भले ही हिंदू संस्कार में बेटों को मुखाग्नि देने का अधिकार है। लेकिन अभी भी कहीं-कहीं बेटे के नहीं रहने पर बेटियां अपने माता-पिता को मुखाग्नि देने का काम कर रहीं हैं।
सम्भवतः झाझा शहर की ये पहली घटना होगी? जहां संयुक्त रूप से, कहने का साफ मतलब है दो महिलाओं ने किसी( पुरुष) पिता के शव को मुखाग्नि दी हो?
खुदरा व्यापार संघ के पूर्व मंत्री एवं गौशाला के प्रमुख कर्ताधर्ता सोनू वर्णवाल ने बताया कि ऐसा आज तक नहीं हुआ कि झाझा शहर में एक शव को दो-दो महिलाओं ने मुखाग्नि दी हो यह एक तरह से झाझा प्रखंड की पहली घटना है।
शव यात्रा में मुख्य रूप से, प्रशांत साहा, मोहन सरकार दा, सोनू बर्नवाल, कोका साहा, विजय साहा, एवम् समाज के अन्य लोग शामिल हुए।