Tuesday 22/ 10/ 2024 

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बच्चों के पेरेंट्स को फोन कर फंसा रहे साइबर क्रिमिनल, उनकी बातों पर ना करें यकीन

बच्चों के अपहरण या अन्य मामलों में फंसने की जानकारी देकर पुलिस बन कर करते हैं फोन

डीपीएस स्कूल में पहुंचे साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दीपक ने बच्चों को दिए टिप्स

अरवल जिला ब्यूरो बिरेंद्र चंद्रवंशी की रिपोर्ट 

अरवल: साइबर क्रिमिनल्स की सोच ऐसी होती है कि वह क्राइम कर लेंगे और पुलिस की नजर से बच जाएंगे क्योंकि उनकी अवधारणा होती है कि पुलिस तकनीकी रूप से कमजोर होती है और वह साइबर क्राइम करने वालों को नहीं पकड़ पाएगी।

पर सच्चाई यह है कि साइबर क्रिमिनल जिस तकनीक का प्रयोग करते हैं। इस तकनीक से वह पकड़े भी जाते हैं आए दिन साइबर क्राइम होते रहते हैं और पुलिस से बचने के नए-नए तरीके भी ढूंढते रहते हैं।

सोशल साइट पर फर्जी अकाउंट बनाकर साइबर क्रिमिनल लोगों को फांसते हैं और उनसे वसूली करते हैं। इनसे बचने के लिए एहतियात बरतना जरूरी है खासतौर पर स्कूली और कॉलेज गोइंग बच्चों को भी ज्यादा ध्यान देना होगा, क्योंकि वह सोशल मीडिया अकाउंट का प्रयोग ज्यादा करते हैं।

उक्त बातें साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट दीपक कुमार ने अरवल के डीपीएस स्कूल में बच्चों को दी गई ट्रेनिंग के दौरान कही। वे ‘साइबर क्राइम ए रिव्यू ऑफ द एविडेंस’ विषय पर बच्चों को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने बच्चों को दिखाया कि अगर कोई फर्जी अकाउंट सोशल साइट पर बनाता है तो जैसे 2 मिनट में बनाता है वैसे ही पीड़ित से लिंक और पहचान पत्र सिर्फ लेकर पुलिस उसे 5 से 10 मिनट में बंद ही नहीं करती, अपराधी का आईपी और मोबाइल नबर भी सोशल साइट से मांग लेती है।

आज कल साइबर अपराधी बच्चों का डाटा, नाम, स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल, क्लास जान लेते हैं और अभिवावक को कॉल करते हैं कि आपका बेटा का अपहरण, एक्सीडेंट, किडनैप या सेक्स रैकट में फंस गया है।

उसका या आपका आधार कार्ड का गलत आतंकवादी या अपराधी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह एक साइबर गिरोह है। ऐसे कॉल को तुरंत ब्लॉक करें और बिलकुल भी इन्हे पैसे नहीं दें।

उन्होंने बच्चों को दिखाया कि मोबाइल से डिलीटेड डाटा भी कैसे पुलिस प्राप्त कर लेती है। बच्चों को सतर्क रहने के साथ क्राइम नहीं करने की भी सलाह दी।

उन्होंने बताया कि घटना होने पर किसी भी डिजिटल एविडेंस को कैसे संग्रह कर पुलिस को दें। बच्चों के मन में होता है की व्हाट्सएप की जांच नहीं होती है, जबकि व्हाट्सएप रिपोर्ट देने के साथ विशेष स्थिति में पूरा चैट भी देती है।

डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई क़ानून नहीं

साइबऱ अपराधी कई बार कहते हैं कि आप इस केस में फंस गए हैं। आपको वीडियो कॉल पर रहना है और एआई का प्रयोग करके सामने पुलिस जैसा व्यक्ति रहता है। जबकि ऐसा कोई डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई क़ानून नहीं है।

वहीं आप बॉडी लैंग्वेज और आंख ध्यान से देखेंगे तो आप पाएंगे कि फर्जी लोग हैं और सिर्फ पैसे के लिए वह साइबर क्राइम कर रहे हैं । आर्टिफिसियल इंटेलीजेंट के द्वारा इसका गलत प्रयोग खूब हो रहा है।

इंटरनेट स्वास्थ्य पर डालता है बुरा असर 

इंटरनेट के ज्यादा प्रयोग से आपका हेल्थ जैसे मेमोरी कम होना, आंख की रोशनी कम होना, आंख और कान पर भी इसका बुरा प्रभाव करता है। 17 साल से कम उम्र के बच्चों को 30 से 45 मिनट से ज्यादा इंटरनेट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

इंटरनेट का प्रयोग करने का भी रूटीन बनाएं

इंटरनेट आज एक जरूरी चीज हो गई है। पढ़ाई में भी इंटरनेट का प्रयोग जरूरी है। किंतु इंटरनेट से कब और कितनी पढ़ाई करनी है, इसकी रूटीन बनाएं। अपने स्टडी रूटीन में इसके लिए उल्लेख करें कि इंटरनेट का प्रयोग कितना करना है।

इंटरनेट का प्रयोग करते समय सिर्फ स्टडी मैटेरियल ही ग्रहण करें। इंटरनेट से पढ़ाई के दौरान फोन या चैट के माध्यम से दोस्तों से बातचीत या अनजान लोगों से बातचीत ना करें। फोन या चैट के माध्यम से जो भी आप बात करते हैं, वह डिजिटल एविडेंस के रूप में संग्रहित हो जाता है। इसका साइबर क्रिमिनल गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

लिंक से पैसे की लालच में न पड़ें, आप लाइव हो सकते हैं

साइबर क्रिमिनल आपको लिंक भेज कर आपको फंसाने की कोशिश कर सकते हैं। किसी भी हाल में अननोन लिंक को टच ना करें। कोई भी लिंक क्लिक से आपके अकाउंट के पैसे ही नहीं आएंगे बल्कि आप हमेशा ऑनलाइन रहेंगे। अपराधी आपको लाइव करते रहेगा। इसलिए अनजान लिंक, लोभ, लालच के चक्कर में ना पड़ें और क्लिक करें।

किसी भी हाल में अपने निजी फोटो शेयर न करें

इनबॉक्स चैट को अवॉयड करें। कोई निजी फोटो मांग रहा है तो वह मानसिक रोगी या ब्लैकमेलर हो सकता है। अपने प्रेमी या पति को भी अपनी कोई निजी तस्वीर नहीं दें। 90% लोग ऐसे होते हैं जो आपसे वीडियो कॉल और चैट का स्क्रीनशॉट लेकर आपको ब्लैकमेल कर सकते हैं।

डीपीएस डायरेक्टर धर्मेंद्र कुमार विवेक कुमार अलीशा अविनाश सलोनी अमीषा मौजूद

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