
गाय की रक्षा मानवता की रक्षा:- विधि शरण देवाचार्य महाराज।
रोहतास संवाददाता चारोधाम मिश्रा की रिपोर्ट
काराकाट (रोहतास): गौमाता चराचर जगत की माता हैं। इनकी रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। अथर्ववेद में आता है कि गौहत्यारे को काँच की गोली से उड़ा दो। अतः हे भारतवासियो ! जागो और गोवंश की हत्या रोकने के लिए आगे आओ।
गौमाता धरती का गौरव है। भारत की 40 करोड़ एकड़ भूमि पर पैदावार तथा छोटे-बड़े भूखंडों के अनुकूल कृषिकार्य मात्र गोवंश ही कर सकता है।
गायों से प्राप्त विभिन्न पदार्थों से विभिन्न उत्पाद बनाये जाते हैं जो मानव-जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। गौमाता जो आजीवन हमें अपने दूध- दही- घी आदि से पोषित करती है।
अपने इन सुंदर उपहारों से जीवनभर हमारा हित करती रहती है। उक्त बाते हिन्दू नव वर्ष उत्सव के अवसर पर काराकाट में विधि शरण देवाचार्य महाराज जी ने कहा।
आगे उन्होंने कहा की ऐसी गौमाता की महानता से अनभिज्ञ होकर मात्र उसके पालन-पोषण का खर्च वहन ना कर पाने के बहाने उन्हें कत्लखानों के हवाले करना विकास का कौन सी मानवीयता है ? क्या गौमाता के प्रति हमारा कोई कर्त्तव्य नहीं बनता है ?
पंडित मदन मोहन मालवीयजी ने कहा है, ‘’यदि हम गौओं की रक्षा करेंगे तो गौएँ भी हमारी रक्षा करेंगी।‘’ गौमाता की दुर्दशा देख उसकी रक्षार्थ भारत के मनीषियों ने अनेकों बलिदान दिये।
पूर्वकाल में करपात्रीजी महाराज, संत प्रभुदत्तजी ब्रह्मचारी, आचार्य विनोबाजी भावे आदि अनेकों संत-महात्माओं व समाज-सेवकों ने गौवध-विरोधी आंदोलन चलाये। बाबा रामदेव , साध्वी ऋतम्भरा तथा अन्यानेक सन्त महात्मा आज भी गोरक्षा के मुहिम में लगे हुए हैं।
मौके पर बड़क पाण्डेय, राकेश मिश्रा, रवि कांत मिश्रा ,नागेश्वर कुशवाहा, रवि भास्कर, प्रेम पाण्डेय , सुदर्शन वैश्य, सहित कई लोग उपस्थित रहे।